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पोर्टब्लेयर। भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने साहित्य सेवा एवं सामाजिक कार्यों में रचनात्मक योगदान के लिए युवा साहित्यकार एवं भारतीय डाक सेवा के अधिकारी कृष्ण कुमार यादव को अपने रजत जयंती वर्ष में 'डॉ अंबेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान-2010' से सम्मानित किया है। कृष्ण कुमार यादव वर्तमान में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की डाक सेवाओं के निदेशक हैं।
सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय 33 वर्षीय कृष्ण कुमार यादव की रचनाधर्मिता को देश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में देखा-पढ़ा जा सकता है। विभिन्न विधाओं में अनवरत प्रकाशित होने वाले केके यादव की अब तक कुल 5 पुस्तकें- अभिलाषा (काव्य संग्रह), अभिव्यक्तियों के बहाने (निबंध संग्रह), अनुभूतियां और विमर्श (निबंध संग्रह) और इंडिया पोस्टः 150 ग्लोरियस ईयर्स, क्रांति यज्ञः 1857 से 1947 की गाथा प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रसिद्ध बाल साहित्यकार डॉ राष्ट्रबंधु ने केके यादव के व्यक्तित्व और कृतित्व पर 'बाल साहित्य समीक्षा' पत्रिका का विशेषांक जारी किया है तो इलाहाबाद से प्रकाशित 'गुफ्तगू' पत्रिका ने भी उन पर परिशिष्ट अंक जारी किया है। शोधार्थियों के लिए आपके जीवन पर एक पुस्तक 'बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव' (संपादक डॉ दुर्गाचरण मिश्र) भी प्रकाशित हुई है।
कृष्ण कुमार यादव की रचनाएं पचास से ज्यादा संकलनों में उपस्थिति दर्ज करा रही हैं और आकाशवाणी लखनऊ, कानपुर और पोर्टब्लेयर से भी उनकी रचनाएं और वार्ता प्रसारित हो चुकी हैं। कृष्ण कुमार यादव ब्लागिंग में भी सक्रिय हैं और 'शब्द सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' नामक उनके ब्लॉग चर्चित हैं। हिंदी साहित्य लेखन के लिए उन्हें अब तक देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं। थोड़े ही समय में केके यादव ने भारतीय हिंदी साहित्य जगत में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।