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देहरादून। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रेल मंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि मुजफ्फरनगर-रूड़की रेल लाइन निर्माण परियोजना की बढ़ी हुई लागत को राज्य सरकार के स्थान पर रेल मंत्रालय वहन करने के लिए उसकी रेल बजट में व्यवस्था की जाए। उल्लेखनीय है कि देवबंद-मुजफ्फरनगर-रूड़की रेल लाइन निर्माण परियोजना की पूर्व में लागत 120 करोड़ रुपये थी, जिसका 50 प्रतिशत व्यय राज्य सरकार को वहन करना था। परियोजना की लागत कालांतर में बढ़कर 160 करोड़ रुपये हो गई है। जनपद हरिद्वार एवं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद में भूमि के मूल्य में वृद्धि के कारण परियोजना की लागत अब 160.01 करोड़ रुपये से बढ़कर 336.92 करोड़ रुपये हो गई है। रेलवे ने बढ़ी हुई परियोजना लागत का 50 प्रतिशत राज्य सरकार से वहन करने को कहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार ने पहले ही 80 करोड़ रुपये परियोजना के लिए प्रदान कर दिये हैं और अब बढ़ी हुई लागत रेल मंत्रालय को वहन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे भारतीय संविधान के अंतर्गत संघ सूची का विषय है। उत्तराखंड राज्य एक पर्वतीय एवं सीमावर्ती राज्य है और सीमित वित्तीय संसाधन होने के कारण रेलवे की विभिन्न योजनाओं में राज्य सरकार की ओर से सहभागिता किया जाना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री से बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेल लाइन का प्रस्ताव भी आगामी रेल बजट में लाने का अनुरोध किया है। टनकपुर से बागेश्वर और ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण के साथ ही बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का भी सर्वेक्षण कराया जाए।
इस प्रस्तावित रेलवे लाइन का मार्ग बागेश्वर-गरूड़/बैजनाथ-ग्वालदम के नीचे टनल-देवाल-थराली/कर्णप्रयाग उचित प्रतीत होता है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि कुमाऊं मंडल और गढ़वाल मंडल को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने के लिए यह परियोजना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री निशंक ने ऋषिकेष-कर्णप्रयाग रेल लाइन के फाइनल लोकेशन सर्वे के लिए पूर्ण बजट जारी करने की मांग भी की। इस परियोजना के सर्वेक्षण के लिए रेलवे विभाग कुछ बजट भी जारी कर चुका है। मुख्यमंत्री ने रेल बजट में टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन के सर्वेक्षण और देहरादून-विकासनगर-कालसी रेल लाइन निर्माण के लिए बजट व्यवस्था करने की मांग की है।