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लखनऊ। हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लललाहो अलैह वसल्लम के जन्म दिवस पर अमीरूद्दौला इस्लामिया कालेज में मुस्लिम यूथ कंवेंशन के तत्वावधान में एक समारोह का आयोजन किया गया। जलसे सीरत और मुशायरे के लिए इस्लामियां कालेज मैदान में एक खुशनुमा पंडाल सजाया गया और समारोह स्थल से कालेज के मुख्य द्वार के बाहर सड़क पर मोहम्मद साहब रसूल से मोहब्बत करने वालों का लोगों का समूह उमड़ा था। इस रात पैगंबर हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा को नज़राने अक़ीदत पेश करने के लिए हिंदुस्तान के कोने कोने से आये शायरों और कवियों ने शिरक़त की। समारोह का शुभारंभ तिलावत क़लाम पाक से हुआ। तिलावत क़ारी फ़ुज़ैल अहमद और क़ारी अबु रेहान ने की।
इस जश्न में मौलाना मोहम्मद ज़ाहिद रज़ा (उत्तराखंड), मौलाना ख़ालिद रशीद फ़िरंगी महली और मौलाना कलीम अशरफ़ ने अपनी तक़रीरों में मोहम्मद साहब (रसूल) के उपदेशों और उनके जीवन के विभिन्न बिंदुओं पर एक-एक कर प्रकाश डाला। जश्न में प्रकाशित रहमतुललिआलमीन की स्मारिका का संरक्षक ज़फ़रयाब जीलानी ने विमोचन किया। दिलशाद हुसैन को विशेष दिलचस्पी और तआउन के लिए अध्यक्ष स्वागत समिति के ने शाल पेश की।
जश्न रहमतुललिआलमीन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए ज़फ़रयाब जीलानी ने कहा कि ऐसे पवित्र समारोह का आयोजन जहां एक नज़रिये से धार्मिक वरीयता का विषय है और बायसे सवाब है वहीं उसका दूसरा रूख़ यह भी है कि ऐसे ईमान अफ़रोज़ तक़रीबात से एकता और भाईचारे के भाव को बढ़ावा मिलता है, लोगों में सीरत रसूल पर अमल करने का जज़्बा जागृत होता है। समारोह का संचालन सैयद अतहर नबी, क़फ़ील अहमद एडवोकेट और क़ारी रज़ीउद्दीन ने किया। मुशायरे के संयोजक अतहर नबी ने शायरों और कवियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला। मेहमानों का स्वागत समिति के अध्यक्ष चौधरी शर्फुद्दीन ने किया और जश्न के संयोजक सैयद हबीब अहमद गुड्डू ने जश्न के समारोह के संबंध में रिर्पोट पेश की।
मुशायरा सुबह तक जारी रहा। जिसमे अज़हर इनायती, नईम राशिद बुरहानपुरी, ताहिर फ़राज़, साबिर फ़रीदी, शकील बिलहरी, हाशिम फ़िरोजाबादी, क़ाविश रूदौलवी, क़लीम दानिश, नफ़ीस कानपुरी, हसन काज़मी, असर बहराइची, अल्ताफ़ ज़िया, क़लीम तारिक़ आदि ने अक़ीदत के साथ अपना क़लाम पेश किया और दाद तहसीन हासिल की।
जलसे में मोहम्मद ज़मीर, मोहम्मद अनीस ऊर्फ बाबू, मोहम्मद हसीन खान, दिलशाद हुसैन एडवोकेट, शुएबउर्रहमान, मेहताब अली खान एडवोकेट, हाजी मोहम्मद मुर्शरफ़ हुसैन, फ़ज़ले आलम एडवोकेट, अयाज़ अहमद सिददीक़ी, हम्माद अनीस नगरामी, हशमत अली खान, सैयद अब्दुल मन्नान, मसूद आलम जीलानी, जावेद सिराज, साजिद सईद, डॉ जमाल मोहम्मद खान, अब्दुल बासित खान, उमर अली, डॉ आक़िल हुसैन, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद आरिफ़ बिलग्रामी, गुफ़रान नसीम, इंतेख़ाब जीलानी, रशीद अहमद ठेकेदार, मोहम्मद फ़ारूक़, इशरत अली, मोहम्मद शक़ील अहमद, मोहम्मद आसिफ़ बिलग्रामी, डॉ अब्दुल मुईद सिद्दीक़ी, सिराज़ अशरफ़, शादाब अहमद आदि ने शिरक़त की।
कार्यक्रम का समापन मौलाना ख़ालिद रशीद निजामुद्दीन मोहम्मद फ़िरगी महली के ज़रिये बयान विलादत और दुरूद सलाम के बाद सैयद हबीब अहमद ऊर्फ गुडडू की दुआ पर हुआ। जश्न के संरक्षक मोहम्मद ज़मीर एवं जमील अहमद के स्वास्थ्य के लिए विशेष दुआएं की गई। समारोह में क़मरयाब जीलानी मरहूम की कमी बहुत महसूस हुई, उनके ऐसाल सवाब के लिए दुआएं मगफ़िरत की गईं और पसमानिंदगान को सब्र जमील अता करने की दुआ की गई।