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नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने कहा है कि राष्ट्रीय इस्पात निगम (आइआईएनएल) खनिज इस्पात की अपनी क्षमता विस्तार परियोजना चालू होने की अग्रिम स्थिति में है और इसका विस्तार 2.9 मिलियन टन से 6.3 मिलियन टन प्रतिवर्ष हो जाएगा। बेनी प्रसाद वर्मा ने आशा व्यक्त की कि 12,228 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से यह परियोजना 2011-12 तक पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस्पात हमारी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है। उसका आधारभूत ढांचे और औद्योगिक आधार के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है। जनवरी-दिसम्बर 2010 अवधि के दौरान भारत को विश्व में पांचवां सबसे बड़ा खनिज इस्पात का उत्पादक माना गया है और भारत विश्व में 2002 से स्पंज इस्पात का सबसे बड़ा उत्पादक भी रहा है।
अपने मंत्रालय से संबद्ध संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए बेनी वर्मा ने कहा कि भारतीय इस्पात उद्योग का दसवीं योजना के दौरान शानदार विकास हुआ है। कुल परिष्कृत इस्पात की बिक्री और खपत दोनों के लिए उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि क्रमश: 9.5 प्रतिशत और 10.4 प्रतिशत हुई है, जबकि आयात में 29 प्रतिशत और निर्यात में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस्पात मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्ष 2010-11 की पहली और दूसरी तिमाही में प्रत्येक में लगभग 9 प्रतिशत की वृद्धि रही, जबकि वर्ष के पहले आठ महीनों में कुल परिष्कृत इस्पात की खपत में 7 प्रतिशत और बिक्री के लिए उत्पादन में 7.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
उन्होंने सूचित किया कि विस्तार योजनाओं से सेल की खनिज इस्पात उत्पादन क्षमता 12.84 मिलियन टन (2006-07) प्रति वर्ष से 2012-13 में पूरे होने वाले पहले चरण में 21.40 मिलियन टन हो जाएगी। इसकी अनुमानित लागत लगभग 70,000 करोड़ रुपए होगी। इसमें 10,000 करोड़ रुपए खान विकास के लिए भी शामिल है। बैठक में भाग लेने वाले सांसद हैं- लोकसभा से गोरखनाथ पांडे, कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद, जीतेंद्र सिंह बुंदेला, नारायण भाई कच्छाडि़या, शिवराम गौडा और यशवंत एन सिंह लागुरी। राज्य सभा से नंदी यलैइआ, नरेश चंद्र अग्रवाल, रामदास अग्रवाल, सबीर अली और तपन कुमार सेन।