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नई दिल्ली। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने एशिया-प्रशांत सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य विकास योजना की तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। गुलाम नबी ने अपने शुरूआती संबोधन में कहा कि हम जानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य एक उपेक्षित विषय है, यहां तक कि स्वास्थ्य कर्मियों में भी इससे संबंधित जानकारी का अभाव देखा गया है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत की जनसंख्या का 6 से 7 प्रतिशत भाग सामान्य मानसिक विकार से ग्रस्त है। वैश्विक स्तर पर वर्ष 2020 तक 15 प्रतिशत आबादी मानसिक विकारों से ग्रस्त होगी। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इसके निदान के लिए बहुद्देश्यीय गठबंधन कायम करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला में जुटे अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कर्मियों के वैज्ञानिक विचार एक मजबूत गठबंधन बनाने और सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य विकास के लिए प्रगतिशील समाधान विकसित करने में मदद करेंगे। स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि 1996 में राष्ट्रीय मानसिक विकास कार्यक्रम की शुरूआत प्रायोगिक तौर पर चार जिलों में की गई थी। आज इस कार्यक्रम के तहत 123 जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) चल रहे हैं। आजाद ने बताया कि डीएमएचपी योजना का विस्तार करते हुए सरकार मेडिकल कालेजों में मनोरोगी चिकित्सा विभाग का उन्नतीकरण सामान्य अस्पताल, राज्य सरकार के मानसिक चिकित्सालयों का आधुनिकीकरण, 89 मानसिक रोगी विभागों का उच्चीकरण और 29 मानसिक चिकित्सालयों का आधुनिकीकरण किया गया है। आजाद ने कहा कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के क्रियान्वयन में कुशल एवं प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी की कमियों के कारण आ रही रुकावट को दूर करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने पर ध्यान दिया जा रहा है।