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देहरादून। टाटा समूह के उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से गुरूवार को मुलाकात के दौरान राज्य में निवेश की संभावनाओं पर विचार विमर्श किया। पिछले वर्ष नवंबर में राज्य स्थापना दिवस व्याख्यान माला में उद्योगपति रतन टाटा की मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद टाटा समूह का उत्तराखंड में निवेश करने की दिशा में उठाया गया यह एक प्रमुख कदम है। इस विमर्श में मुख्य सचिव सुभाष कुमार, प्रमुख सचिव आलोक कुमार जैन, राकेश शर्मा, पीसी शर्मा, एस राजू, एस रामास्वामी, सचिव मुख्यमंत्री डॉ उमाकांत पंवार, अपर सचिव मुख्यमंत्री सुबर्द्धन और अजय प्रद्योत भी उपस्थित थे। टाटा समूह की और से वाईस प्रेसीडेंट एएस पुरी, पंतनगर प्लांट के प्रमुख अतुल रेनाविकर, प्रबंध निदेशक बी बनर्जी, वाइस प्रेसीडेंट संदीप आहूजा आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधि मंडल से कहा कि उत्तराखंड सरकार को टाटा समूह से न्यूनतम 10 हजार करोड़ रुपये के निवेश की अपेक्षा है। उन्होंने टाटा समूह को यह भी सुझाव दिया कि वह किसी एक सेक्टर में अपनी सारी गतिविधियां उत्तराखंड में केंद्रित कर सकते हैं। इससे आगामी छह माह में उत्तराखंड में टाटा समूह के सौजन्य से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष 50 हजार रोजगार के अवसर सृजित किये जा सकते हैं। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि वे टाटा समूह की प्रस्तावित विभिन्न योजनाओं के लिए प्रमुख सचिव एवं प्रबंध निदेशक सिडकुल एस रामास्वामी को नोडल अधिकारी नामित करते हुए सिंगल विंडो सिस्टम की तर्ज पर एक कोआर्डिनेशन सेल बना दें। उन्होंने टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के विभिन्न जन सेवाओं में लोक निजी सहभागिता के आधार पर प्रस्तावित विभिन्न प्रोजेक्टों पर तत्काल परीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई करने करने के निर्देश दिए।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे तात्कालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनाकर टाटा समूह के प्रस्तावों पर तुरन्त कार्यवाही शुरू करें। उन्होंने टाटा समूह के अधिकारियों से कहा कि उन्हें पर्वतीय क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से योजनाएं बनानी होंगी और सरकार इस दिशा में उन्हें पूरा सहयोग देगी। सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना चाहती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड का युवा बेहद मेहनती और प्रतिभाशाली हैं, ऐसे में यहां आने वाली कंपनियों को मानव संसाधन की कोई कमी नहीं होगी। टाटा समूह को पर्यटन के साथ ही स्वास्थ्य पर्यटन, टिहरी झील में जल क्रीड़ा और औली में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी योजनाएं प्रस्तुत करनी चाहिएं। उन्होंने हाउसिंग प्रोजेक्ट के संदर्भ में कहा कि यदि अल्प आय वर्ग के लोगों को सस्ती दरों में रहने के लिए मकान उपलब्ध कराने की कोई अच्छी योजना हो तो सरकार उस पर भी अवश्य विचार करेगी।
टाटा समूह के वाइस प्रेसीडेंट एएस पुरी ने मुख्यमंत्री को बताया कि उत्तराखंड में टाटा का काम करने का अच्छा अनुभव रहा है, पंतनगर का प्लांट, रिकॉर्ड एक साल में स्थापित हुआ है, जो बिना सरकारी मशीनरी के सहयोग के संभव नहीं हो सकता था। उन्होंने बताया कि केवल चार साल में ही पंतनगर प्लांट ने 2.5 लाख प्रतिवर्ष गाड़ियां उत्पादन करने के अधिकतम लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है और अब इसे पांच लाख तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि टाटा समूह कांट्रेक्ट फार्मिग के क्षेत्र में भी उत्तराखंड में काम शुरू करना चाहती है, उत्तराखंड में इस दिशा में बेहतर माहौल उपलब्ध है। इससे पूर्व सचिवालय में मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में टाटा समूह के अधिकारियों और सचिवों के समूह के मध्य राज्य में निवेश की संभावनाओं पर गहन विचार विमर्श हुआ। मुख्य सचिव ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी से इसकी निकटता और दिन प्रतिदिन बेहतर होती जा रही है, यातायात सुविधाओं के कारण यह औद्योगिक निवेश के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया है। मुख्य सचिव ने उत्तराखंड की उच्च साक्षरता दर, बेहतर कानून व्यवस्था, स्वच्छ जलवायु और कुशल प्रशासनिक व्यवस्था को यहां निवेश के लिए सर्वथा उपयुक्त बताया।
टाटा समूह ने इस विमर्श में कान्ट्रैक्ट फार्मिग, सूचना प्रौद्योगिकी, रन ऑफ द रिवर, हाइड्रो प्रोजेक्ट, पर्यटन एवं स्वास्थ्य पर्यटन और कम लागत वाली हाउसिंग परियोजनाओं में विशेष रूचि दिखाई है। बैठक में टाटा समूह को राज्य में प्रदान की जा रही विभिन्न सुविधाओं आयकर में छूट, कैपिटल इन्वेस्टमेंट सब्सिडी, प्लांट और मशीनरी पर प्रवेश कर में छूट आदि के बारे में बताया गया। टाटा समूह को आईटी पार्क देहरादून के साथ ही प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी में निवेश और लोक निजी सहभागिता के आधार पर भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) विषय पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। पर्यटन विभाग ने होटल, रिजार्ट, ईको टूरिज्म और रोपवे परियोजनाओं पर प्रस्तुतीकरण दिया। ऊर्जा विभाग ने विभिन्न स्थानों पर कुल मिलाकर 800 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं का प्रस्तुतीकरण दिया गया। आवास विभाग ने कम लागत वाली हाउसिंग परियोजनाओं पर विचार विमर्श किया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक या दो बहुविशेषज्ञता वाले अस्पतालों और कैंसर अस्पतालों की स्थापना पर विचार विमर्श किया गया। इसके साथ ही स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में मोबाईल मेडिकल वैनों और एयर एंबुलेंस की संभावना पर भी बातचीत हुई। शिक्षा के क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों में लोक निजी सहभागिता के आधार पर उच्च स्तरीय विद्यालय खोलने की बात की गई। समूह के कुछ उच्चाधिकारी अपरिहार्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सके थे, उनसे वीडियों कांफ्रेसिंग से विचार विमर्श किया गया।