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श्रीनगर। कराकोरम और गिलगित पर कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस को स्पष्टीकरण देना होगा। नेशनल पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन प्रोफेसर भीमसिंह ने कहा कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं को सारे राष्ट्र को बताना होगा कि वह 47 साल से कराकोरम के मामले में क्या सोच रहे हैं, जिसे 1963 में पाकिस्तान ने कराची समझौते के अंतर्गत चीन को बेच दिया था। यह समझौता पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो और चीन के नेता चाउ-एन-लाई के बीच संपंन हुआ था। जम्मू-कश्मीर की कोई पांच हज़ार वर्गमील भूमि पाकिस्तान ने चीन को 99 साल के पट्टे पर बेच दी थी।
प्रोफेसर भीमसिंह की नवीनतम पुस्तक 'दि ब्लंडर्स एंड वे आउट' में उन्होंने यह प्रसंग उठाया है। पुस्तक में कहा गया है कि इस जमीन को बेचा जाना राष्ट्रसंघ के 13 अगस्त, 1948 के भारत-पाक प्रस्तावों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन था, जिसमें राष्ट्रसंघ ने पाकिस्तान को निर्देश दिया था कि वह जम्मू-कश्मीर के तमाम अधिकृत क्षेत्र को खाली कर दे। भारत इस पर खामोश रहा और चीन ने कराकोरम हाईवे का निर्माण करके बीजिंग को सीधे पेशावर से जोड़ दिया और आज के दिन चीन ने वहां 16 सैनिक हैलीपैड भी बना दिये हैं, जहां से पाकिस्तान को सैनिक साजोसामान सप्लाई किया जा रहा है।
प्रोफेसर भीम सिंह ने खेद प्रकट किया कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस जम्मू-कश्मीर में अपनी विफलताओं और भयंकर भूलों पर सारे राष्ट्र को बहकाते आ रही हैं। प्रोफेसर भीम सिंह ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह को चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें क्या हक है कि वे उस आदमी को आरोपित करें, जिसे कराकोरम की स्थिति पर कुछ संदेह है, जबकि यह क्षेत्र पहले ही चीन के सैनिक कब्जे में है और मुख्यमंत्री ने स्वयं जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक भाग नहीं है। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम और कांग्रेस के प्रवक्ता को भी कोई अधिकार नहीं है कि वे कराकोरम और गिलगित की स्थिति पर शंका करने वालों को कुछ कह सकें। उमर अब्दुल्लाह और पी चिदंबरम को कराकोरम और गिलगित की स्थिति पर सारी दुनिया को सच्चाई बतानी ही चाहिए।