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नई दिल्ली। भारत में नागरिक विमानन के शताब्दी समारोह के उद्घाटन अवसर पर नागरिक विमानन मंत्री व्यालार रवि ने कहा कि भारत के लिए यह महान अवसर है कि हम आज देश में व्यापारिक नागरिक विमानन के 100 वर्ष पूरे होने पर समारोह मना रहे हैं। सौ वर्ष पूर्व इलाहाबाद से एक विमान उड़कर नैनी पहुंचा, वह 6500 डाक भी ले गया था। यह भारत में न केवल व्यापारिक नागरिक विमानन का प्रारंभ था, बल्कि विश्व में प्रथम एयरमेल सेवा भी थी।
विमानन मंत्री ने कहा कि आसमान में उड़ानें भरने का सपना मानव जाति की शाश्वत आकांक्षा रही है। यह स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक और आसमान में पहुंचने की आकांक्षा है। उन्होंने कहा कि राइट बंधुओं की ऐतिहासिक उड़ान के सिर्फ 7 वर्ष बाद ही भारत ने भी पंख फैला दिए। ऐसा विश्वास किया जाता है कि भारत और संभवत: एशिया में पहला विमान 1910 में आया और पहली व्यापारिक नागरिक उड्डयन की उड़ान 18 फरवरी 1911 को शुरू हुई। इसके पश्चात भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन घटना-प्रधान दशकों के दौरान भारतीय नागरिक उड्डयन सेवा लगातार प्रगति करती गई और आज यह विश्व बाजार में तीव्रतम गति से बढ़ती हुई विमान सेवा है। उन्होंने कहा कि इस वृद्धि के पीछे देश के उद्यमियों, पायलटों, इंजीनियरों, क्रू मैंबरों और वैज्ञानिकों की अदम्य भावना है। यह केवल गर्वीला ही नहीं अपितु कृतज्ञ राष्ट्र है, जो उन विलक्षण भारतीयों का स्मरण करता है, जिन्होंने वर्तमान ऊंचाई तक पहुंचने के लिए अनेक विषम परिस्थितियों का सामना किया है।
व्यालार रवि ने कहा आज हम राजीव गांधी का स्मरण करते हैं, जो पायलट से भारत के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने कुछ उत्कृष्ट उड्डयन संस्थानों की आधारशिला रखी। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड्डयन अकादमी और पवन हंस हेलीकॉप्टर्स लिमिटेड जैसे कुछ संबद्ध उत्कृष्ट उड्डयन संस्थान उन्हीं की देन हैं। इस अवसर पर विमानन मंत्री ने उद्योगपति जेआरडी टाटा को भी याद किया जिन्हें आम तौर पर भारतीय नागरिक उड्डयन का जनक माना जाता है। उन्होंने कहा कि नागरिक उड्डयन देश की अर्थव्यवस्था का प्रमुख संचालक है। अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन का अनुमान है कि विमान परिवहन पर हर 100 डॉलर पर हुआ खर्च अर्थव्यवस्था में 325 डॉलर का मुनाफा पैदा करता है। हवाई परिवहन में 100 अतिरिक्त नौकरियों से अर्थव्यवस्था में 610 नई नौकरियों के अवसर तैयार होते हैं।