स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा का अनावरण कर लाल बहादुर शास्त्री संस्थान की नई इमारत का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि इस संस्थान की स्थापना 15 साल पहले की गई थी और ध्यान देने वाली बात यह है कि इसी अवधि के दौरान संस्थान ने प्रबंधन की शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अच्छी पहचान बना ली है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि नई सुविधाओं से लैस संस्थान का नया परिसर, प्रबंधन और तकनीक की शिक्षा और शोध के क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थान के रुप में उभरेगा।
राष्ट्रपति ने कहा प्रतिमा का अनावरण करते समय उस दौर की यादें ताजा हो गईं जब शास्त्रीजी हमारे देश के प्रधानमंत्री थे। वे बोलीं की मुझे याद है कि जब देश पर बाहरी संकट आया था तो उन्होंने कुशल नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया था। उन्होंने प्रतिबद्धता, बुद्धिमत्ता और निष्ठा के साथ देश का मार्गदर्शन किया। सामान्य पृष्ठभूमि वाले परिवार में उनका जन्म हुआ था और वहां से प्रधानमंत्री बनने तक का उनका सफर उनकी कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा है। जय जवान जय किसान का नारा उनकी धारणा और सिद्धांत को अपने आप में पूरी तरह समेटे हुए है। उनके लिए विकास का संबंध देश, सुरक्षित सीमा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संपन्नता से जुड़ा हुआ था, जिसकी बदौलत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। कृषि और किसान उनके दिल के बहुत करीब थे।
राष्ट्रपति ने उनकी चर्चा करते हुए कहा कि उनका मानना था कि किसान की तरक्की के बिना देश तरक्की नहीं कर सकता है। विनम्रता और सादगी उनकी खास पहचान थी। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के हर पड़ाव पर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और देश हित में सक्षमता और मजबूती के साथ फैसले लेने की कला का प्रदर्शन किया। वह हमेशा कहते थे कि एक लोकतांत्रिक देश कुछ लोगों की महानता की वजह से नहीं टिकता बल्कि अनेक लोगों के सहयोगात्मक प्रयास से आगे बढ़ता है। इसलिए वह देश के विकास में नागरिकों से योगदान देने के लिए आगे आने को कहते थे। उनकी ज़िंदगी देश में कई गतिविधियों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत है।