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विकिरण मुक्‍त मोबाइल सेट

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नई दिल्ली। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्‍य मंत्री सचिन पायलट ने लोकसभा में बताया है कि मोबाइल हैंडसेटों से उत्‍पन्‍न रेडियो आवर्ती ऊर्जा यानि किसी मोबाइल हैंडसेट से खतरों के विशिष्‍ट समामेलन दर (एसएआर) स्‍तर के प्रभाव के लिए सुरक्षा उपाय अपनाने की जांच करने के लिए दूरसंचार विभाग ने एक अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया गया था जिसने अपनी रिपोर्ट में संकेत दिया है कि अधिकांश प्रयोगशालापरक अध्‍ययन रेडियो आवर्ती विकिरण के खतरों एवं स्‍वास्‍थ्‍य के बीच एक प्रत्‍यक्ष संबंध स्‍थापित करने में असमर्थ थे। अभी तक वैज्ञानिक अध्‍ययन रेडियो आवर्ती विकिरण एवं स्‍वास्‍थ्‍य के बीच कारण और प्रभाव को सत्‍यापित नहीं कर पाए हैं। मोबाइल फोन से उत्‍सर्जन के प्रभावों के बारे में निश्चितता से नहीं जाना गया है। दूरसंचार आयोग ने मोबाइल हैंडसेटों के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय गैर आयनीकरण विकिरण संरक्षण आयोग (आईसीएनआईआरपी) के दिशा निर्देश अपनाए हैं, जिनमें 10 मेगाहर्ट्ज से 10 गीगाहर्ट्ज की आवर्ती रेंज में हैड एवं ट्रंक के लिए स्‍थानीकृत 2 डब्‍ल्‍यू किलोग्राम की विशिष्‍ट अवशोषण दर के रूप में बुनियादी प्रतिबंध लगाए हैं।

उन्होंने बताया कि मोबाइल हैंडसेटों के स्‍वदेशी विनिर्माताओं को आईसीएनआईआरपी के दिशा निर्देशों का अनुपालन करने और स्‍वयं प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करने का निर्देश दिया गया है। मोबाइल हैंडसेट विनिर्माताओं को उत्‍पाद ही पर विकिरण के स्‍तर को दर्शाने और मोबाइल फोन के विकिरण एवं प्रभाव में आने संबंधी संभावित खतरों को स्‍पष्‍ट रूप से सम्‍प्रेषित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। स्‍वदेशी एवं आयातित मोबाइल फोनों को विनियमित करने के लिए भारतीय मानक ब्‍यूरो (बीआईएस) से बीआईएस अधिनियम, 1986 के तहत मोबाइल फोनों के लिए मानक तैयार करने का अनुरोध किया गया है।

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