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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय बिल पर सौदेबाजी शुरू हो गई है। राज्यपाल के यहां विचाराधीन यह बिल किसी बड़े राजनीतिक फैसले की प्रतीक्षा में है। हो सकता है कि कांग्रेस और बसपा के बीच यह तय हो जाए कि उत्तर प्रदेश की मेयर की आधी सीटों पर बसपा हो और आधी पर कांग्रेस। इसी प्रकार कुछ नगरपरिषदों में दोस्ताना चुनाव हो। शायद इसी रणनीति के तहत बसपा अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाने के आरोप में सीबीसीआईडी ने बीकापुर (फैजाबाद) के बसपा विधायक जितेंद्र सिंह बबलू एवं बसपा नेता और राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त इंतिजार आब्दी 'बाबी' को गिरफ्तार करा दिया है। इन दोनों को रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और उसके बाद जेल भेज दिया गया। रीता बहुगुणा का घर जलाने में लखनऊ के तत्कालीन एसपी पूर्वी हरीश कुमार की भूमिका सक्रिय रूप से संदिग्ध पाई गई थी इसलिए देखना है कि इनके खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।
आरोप के अनुसार रीता बहुगुणा जोशी की मुरादाबाद में मायावती पर कथित टिप्पणी के बाद बसपा के ये नेता लखनऊ में रीता बहुगुणा के घर आगजनी करने पहुंच गए। मायावती की नज़रों में हीरो बनने के लिए और कदाचित बसपा के कुछ शीर्ष नेताओं के उकसावे में आकर कुछ अन्य बसपाईयों और इन्होंने रीता बहुगुणा के आवास में आग लगा दी। यह घटना काफी चर्चा का विषय बनी और ये दोनों नेता एवं कुछ अन्य इसमें नामजद किए गए। कांग्रेस ने मांग की थी कि इसमें शामिल नेताओं की तुरंत गिरफ्तारी हो किंतु उस समय सरकार ने यह मामला सीबीसीआईडी को जांच के लिए सौंप दिया। दो साल बाद इसमें यह कार्रवाई हुई है। कहा तो यह जा रहा है कि रातों-रात इनके खिलाफ सीबीसीआईडी की रिपोर्ट तैयार की गई है, मामला कुछ और है और रीता बहुगुणा जोशी के घर में आगजनी पर सीबीसीआईडी की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है।
रीता बहुगुणा जोशी के यहां सन् 2009 में 15-16 जुलाई की रात को यह आगजनी की गई थी जिसमें रीता बहुगुणा जोशी का घर ख़ाक कर दिया गया था। प्रदेश भर में इसकी प्रतिक्रिया हुई थी। मायावती की इसमें संलिप्तता बताकर उनसे इस्तीफा मांगा गया था। सीबीआई जांच की मांग की गई थी, मायावती सरकार ने इसकी गंभीरता को देखते हुए इसे सीबीसीआईडी को सौंप दिया था। हालांकि इसके बाद भी कांग्रेस ने अपनी मांग नहीं छोड़ी है और इस मुद्दे को जमकर उछाला।
इस मामले में जितेंद्र सिंह बबलू और आब्दी की गिरफ्तारी के पीछे बहुत सी बातें कही जा रही हैं, मगर एक बात यह कही जा रही है कि मायावती इस मामले में कार्रवाई करके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष्ा रीता बहुगुणा जोशी और कांग्रेस का विश्वास हासिल कर उनसे स्थानीय निकाय विधेयक पर समर्थन चाहती हैं। यह विधेयक अनुमति के लिए राज्यपाल के यहां विचाराधीन है। मायावती शिष्टाचार के नाम पर राज्यपाल से मिलकर इस विधेयक की मंजूरी के लिए अनुरोध करके आई हैं। बसपा पिछले दरवाजे से कांग्रेस से मेयर की सीटों पर समझौता करना चाहती है। उसका प्रयास है कि कांग्रेस इस विधेयक की मंजूरी के लिए विरोध त्याग दे और एक अघोषित समझौते के तहत मेयर के चुनाव होने दे। मायावती का यह प्रयास रीता बहुगुणा जोशी के घर पर हुई आगजनी की घटना में दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई के फलस्वरूप माना जा रहा है। इसमें कहां तक बात होती है यह जल्दी ही सामने आ जाएगा। यूं तो उत्तर प्रदेश सीबीसीआईडी के पास ऐसे हज़ारों मामले विचाराधीन हैं लेकिन राज्य सरकार उन्हीं में ज्यादा सक्रिय दिखाई देती है जिनमें उसकी दिलचस्पी होती है। अनेक राजनेताओं और अफसरों के खिलाफ ऐसी जांचे चल रही हैं और उनको भय दिखाकर इसी प्रकार से हैसियत में रखा जा रहा है। देखना है कि आगे और क्या होता है।
इस गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि आगजनी में ये दोनों नामजद अभियुक्त थे, तब भी मायावती सरकार ने इनमें से एक आब्दी को राज्यमंत्री का दर्जा देकर पुरस्कृत किया था और जितेंद्र सिंह बबलू के कहने से उन्हें कई और राजनीतिक लाभ दिए थे अब इन्हें इसलिए गिरफ्तार किया गया है कि ये मायावती के चहेते नहीं रह गये हैं, जितेंद्र सिंह बबलू का बसपा से टिकट तक काट दिया गया है। प्रवक्ता का कहना है कि दो साल से कांग्रेस पार्टी इस घटना की सीबीआई जांच की मांग कर रही है और यह मांग अगर स्वीकार कर ली जाए तो मायावती सरकार के दो मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी एवं बाबू सिंह कुशवाहा, कई अधिकारी और वह पुलिस अधिकारी जिनके संरक्षण में अग्निकांड को अंजाम दिया गया था, गिरफ्तार होंगे, यहां तक कि स्वयं मुख्यमंत्री मायावती भी कानून की गिरफ्त में आएंगीं, क्योंकि उन्हीं की शह पर इस घटना को अंजाम दिया गया था।