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देहरादून। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एमकेपी कॉलेज में कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में आयोजित जनजागरूकता अभियान के समापन समारोह में कहा है कि इसे रोकने के लिए जनजागरूकता के साथ ही कानून को भी कड़ाई से लागू करना होगा। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ आशा माथुर से कहा कि पूरे प्रदेश में अभियान चलाकर गर्भ में शिशु का लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या करने वाले नर्सिंग होम और चिकित्सालयों के विरूद्ध कार्रवाई करें। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने एमकेपी कालेज की प्रयोगशाला के लिए 30 लाख रुपये अनुदान की घोषणा भी की।
निशंक ने कहा कि मातृ शक्ति का सम्मान उत्तराखंड की परंपरा रही है और इस प्रदेश की ख्याति ऐसे प्रदेश के रूप में है जहां की सामाजिक-राजनैतिक व्यवस्था में महिलाओं का बड़ा योगदान है। सरकार पीएनडीटी एक्ट (गर्भावस्था पूर्व-प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम-1994) को कड़ाई से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को इसके लिए जवाबदेह बनाया गया है। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध केवल कानून बनाकर दूर नहीं किए जा सकते हैं, इसके लिए समाज में एक चेतना लानी होगी, हर व्यक्ति को यह बताना होगा कि बालक एवं बालिका में कोई भेद नहीं है, बालिकाएं समाज के हर क्षेत्र में अग्रणी हैं।
कार्यक्रम की संयोजक डॉ गीता बलोदी ने बताया कि एमकेपी कॉलेज में गठित महिला प्रकोष्ठ और परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य विभाग उत्तराखंड के सौजन्य से वर्ष 2009-10 में कन्या भ्रूण हत्या निषेध हेतु बनाए गए पीएनडीटी एक्ट के प्रचार प्रसार एवं कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान प्रारंभ किया गया है। इसकी शुरूआत लगभग एक वर्ष पहले राज्यपाल ने की है। वित्तीय वर्ष 2010-11 की समाप्ति तक महिला प्रकोष्ठ ने कुल 78 कार्यशालाओं का आयोजन पूरे प्रदेश भर में किया है, जिसमें गांव, खंड एवं जनपद स्तर तक लोगों को सेमिनार, नुक्कड़ नाटकों आदि के माध्यम से जागरूक बनाया गया है। कार्यक्रम में लगभग 8 हजार से भी अधिक युवाओं तक जागरूकता के संदेश पहुंचाए गए। कार्यक्रम में कालेज के शिक्षक एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थीं।