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बरेली। महाशिवरात्रि के दिन मुख्यमंत्री मायावती के औचक बरेली दौरे को देखते हुए 15 दिनों से चल रहा शहर की कायापलट का काम उनके बरेली आकर और प्रस्थान होते ही विलुप्त हो गया। यह चित्र भी उसी स्थान का है जहां उनके आगमन को देखते हुए अघोषित कर्फ्यू लगाया गया था। महाशिवरात्रि के दिन डरा सहमा सा बरेली का जनजीवन अपनी पुरानी सच्चाईयों पर वापस लौट आया है। आइए और देखिए कि मायावती के दौरे से यहां ऐसा कौन सा चमत्कार हो गया है। मायावती को यदि ऐसा ही निरीक्षण करना था तो वे वीडियो कांफ्रेंसिंग से भी कर सकती थीं, नाहक ही उन्होंने अपने दौरे की तैयारियों में जनता के करीब चार करोड़ रूपये चुटकियों में ठेकेदारों को उड़वा दिए। लोग पूछ रहे हैं कि जनता से तो मायावती मिली ही नहीं, उन्होंने मेयर तक से मुलाकात नहीं की तो यह उनका कैसा दौरा था? कहने वाले कह रहे हैं कि यह 'राज की बात' है।
खैर जो बरेली 2 मार्च को थी वह आज नहीं है। मायावती के हेलीकॉप्टर से उड़ते ही सब अपनी जगह पर आ गए। मंडल और जिले के अफसर एक दूसरे की पीठ थपथपा रहे हैं। अघोषित कर्फ्यू लगाकर और सामान्य जनता को मायावती के दौरे से दूर रखकर इन्हें लग रहा है कि दौरा सफल रहा। यहां अफसरों में चापलूसी के सारे रिकॉर्ड टूटे। मायावती की जनता से दूर रहने की पसंद का इन्होंने बखूबी ख्याल रखा। उन्हें पता था कि मायावती केवल नाली, खड़ंजे देखती हैं और उस लिस्ट को देखती हैं जो वह कार्रवाई करने के लिए लखनऊ से लेकर चलती हैं। पहले से ही तय होता है कि किसे शाबाशी देनी है और किसके दिमाग ठीक करने हैं। मुख्यमंत्री यहां की हकीकत से रू-ब-रू हुए बगैर और खुश होकर चली गईं क्योंकि यहां कोई भी उन तक पहुंच ही नहीं पाया।
अब देखिए कि जिस जिला अस्पताल के अधिकारियों को मायावती ने शाबाशी देकर प्रशस्ति पत्र देने की घोषणा की है उसी अस्पताल में दूसरे दिन न तो समय से डाक्टर मौजूद थे, न सफाई। मरीजों के बिस्तरों से गद्दे गायब तो दौरे के समय मरीजों को दिये गये कंबल भी नदारद हो गए। मरीजों को लाने ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक मयस्सर नहीं दिख रहे हैं। जिला अस्पताल के दोनों ओर लगने वाले कपड़ों और चप्पलों के फड़ बाकायदा रौनक अफरोज हो गए हैं। श्यामगंज जिसमें उस दिन दूर-दूर तक कोई वाहन नहीं दिख रहा था आज वहां बेतरतीब खड़े हुए ट्रकों की गिनती कर पाना मुश्किल था। ट्रैफिक का वही पुराना हाल वापस आ गया है। शाम को घुड़सवार पुलिस और आक्रामक होकर फड़वालों से अवैध वसूली करने निकल पड़ी। यातायात का सिपाही और दरोगा अपने चौराहे पर मनमानी वसूली करता मिला। शहर के थानों की हवालात में वसूली के लिए अवैध हिरासत में लोग नज़र आए। अपराध, अराजकता, अतिक्रमण आज सब कुछ अपनी जगह बदस्तूर मौजूद है, तो मायावती के दौरे का मतलब क्या रहा?
सबसे मजेदार बात तो यह है कि दौरा निपटते ही तमाम अफसर तो छुट्टी पर गए ही उन्होंने अधीनस्थों की छुट्टी भी मंजूर करने में दरियादिली दिखाई। ज्ञात हुआ है कि मायावती से शाबाशी मिलने के बाद सीएमएस छुट्टी पर चले गए हैं और पुलिस प्रशासन की एसपी ट्रैफिक कल्पना सक्सेना, एसपी सिटी अतुल सक्सेना, एसपी देहात अनिल कुमार भी आराम पर चले गए हैं। दुल्हन की तरह सजाई गई शहर कोतवाली में वो शीशे की मेजें और वीआईपी कुर्सियां सब नदारद हो गई हैं। सुना जाता है कि स्थानीय प्रशासन ने इसमें निजी शोरूम की मदद ली थी। हिटलरी अंदाज में काला चश्मा चढ़ाये हूटर वाली जीप में गश्त करते नज़र आने वाले कोतवाल राजा बाबू भी उस दिन से दिखाई नहीं दिये हैं। लोग मायावती सरकार की आलोचना करके सब्र कर लेना चाहते हैं और उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो आगामी विधानसभा चुनाव में यहां मतदान का दिन होगा।