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कुंवर अर्जुन सिंह ने ली अंतिम सांस

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कुंवर अर्जुन सिंह-kunwar arjun singh

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुंवर अर्जुन सिंह नहीं रहे। वे यूं तो बीमार चल रहे थे, मगर दिल का दौरा पड़ने पर उन्हें जब एम्स ले जाया गया तो बचाया नहीं जा सका। इकियासी वर्ष के अर्जुन सिंह ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, पंजाब के राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री के रूप में कांग्रेस की बहुत सेवा की और अनेक अवसरों पर कांग्रेस को संकट से बाहर लाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। माना जाता है कि तिवारी कांग्रेस के गठन के समय अगर उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी होती तो वे देश के प्रधानमंत्री भी जरूर हो गए होते। कांग्रेस गठबंधन की पिछली सरकार में वे मानव संसाधन विकास मंत्री थे। इस बार जब फिर से यह यह गठबंधन सरकार आई तो अर्जुन सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। कारण जो भी हो, इस दौर में वे कांग्रेस में भारी उपेक्षित भी थे।

विंध्य क्षेत्र के राजनेता राव शिव बहादुर सिंह के पुत्र कुंवर अर्जुन सिंह का जन्म पांच नवंबर 1930 को मध्यप्रदेश के चुरहट शहर में हुआ था। उनके परिवार में पत्नि सरोज देवी, दो पुत्र और एक पुत्री हैं। अर्जुन सिंह की गिनती सफल राजनेताओं में की जाती है। उन्होंने 1984 में संयुक्त मध्य प्रदेश में कांग्रेस को चालीस में से चालीस सीटें जितवाकर दी थीं। अर्जुन सिंह को 1985 में केवल एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनने का अवसर भी मिला। एक दिन के उपरांत ही उन्हें पंजाब में विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए पंजाब का राज्यपाल बनाकर भेज दिया गया था। राजीव गांधी-लोंगोवाल समझौते में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। पंजाब में अस्त व्यस्त जनजीवन को पटरी पर लाने के लिए अर्जुन सिंह को सदा ही याद रखा जाएगा। इसके अलावा वे संयुक्त मध्य प्रदेश में तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए भी याद किए जाएंगे।

राजीव गांधी की हत्या के उपरांत प्रधानमंत्री बने नरसिंह राव से उनके संबंध कभी भी मधुर नहीं रहे, यही कारण था कि उन्हें कांग्रेस छोड़कर तिवारी कांग्रेस के साथ जाना पड़ा। वे तिवारी कांग्रेस से सतना से लोकसभा चुनाव लड़े किंतु हार गए। बाद में बदली हुई स्थितियों में वे कांग्रेस में लौट आए। सन् 1998 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्र बदलकर वे होशंगाबाद से चुनाव लड़े किंतु यहां भी उन्हें पराजय ही मिली। वर्ष 2000 में उन्हें मध्यप्रदेश से ही राज्य सभा सदस्य बनाया गया, जिसके बाद वे 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में मानव संसाधन और विकास मंत्री बने। संप्रग की दूसरी पारी में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। इसके बाद उनकी परेशानियों और दुश्वारियों का सिलसिला चलता ही रहा।

इसमें उनके लिए उनकी पुत्री को कांग्रेस से लोकसभा का टिकिट नहीं मिलना महत्वपूर्ण झटका था। इसके उपरांत उनकी जीवनी पर लिखी उनकी किताब में उनकी पत्नि सरोज देवी के हवाले से बयान आया कि सोनिया गांधी ने अर्जुन सिंह को प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं बनाकर गलती की है, साथ ही भोपाल गैस कांड में एंडरसन को भगाने के मामले में उनकी भूमिका काफी संदिग्ध समझी गई थी। इस बार घोषित टीम सोनिया में भी अर्जुन सिंह का नाम नदारत ही था। उनके निधन के बाद मध्य प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा उलट फेर होना लाजमी है। अर्जुन सिंह के पुत्र राहुल सिंह मध्य प्रदेश में अपनी ज़मीन मजबूत करने में लगे ही थे कि पिताश्री का साया उठ गया है। राहुल सिंह को मध्य प्रदेश का नेता प्रतिपक्ष बनाने की कोशिशें चल रही थीं मगर अब देखना है कि राहुल सिंह अपने पिता की गैर मौजूदगी में उनकी राजनीतिक विरासत को किस प्रकार आगे बढ़ाते हैं।

अर्जुन सिंह के निधन पर शोक

राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल, उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उत्तराखंड की राज्यपाल मार्गरेट अल्वा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल बोरा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, वरिष्ठ कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान में विपक्ष की नेता वसुंधरा राजे सिंधिया, कांग्रेस नेता कुंवर दिग्विजय सिंह ने अर्जुन सिंह के निधन पर गहरा शोक एवं दुःख व्यक्त किया है। इनके अलावा उप्र कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी,

पूर्व मंत्री रामकृष्ण द्विवेदी, प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव, पूर्व विधायक सतीश अजमानी, प्रदीप श्रीवास्तव, सरदार दलजीत सिंह, कुश भार्गव, ब्रजेश गुप्ता चंचल, संपूर्णानंद मिश्र, एसजेएस मक्कड़, राजेंद्र बहादुर सिंह, विजय बहादुर, रमेश मिश्रा, डॉ शशिकांत तिवारी, प्रभुजोत बत्रा 'लकी', सुनील राय, विकास श्रीवास्तव, विजय प्रताप सिंह, डॉ नीरज बोरा, जगदीश अवस्थी, सुरेश चंद्र वर्मा, शमशाद आलम, राजकुमार कश्यप, नुसरत अली, प्रदीप सिंह, अयूब सिद्दीकी, मेंहदी हसन, परवीन खान, कमला यादव, नीलोफर, साबरा खातून ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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