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देहरादून। ‘उत्तराखंड की फिल्में दशा और दिशा' विषय पर आकाशवाणी नजीबाबाद से एक भेंटवार्ता प्रसारित की गई जिसमें सुप्रसिद्ध फिल्मशास्त्री और उत्तराखंड फिल्म फैस्टीवल के डायरेक्टर डॉ आरके वर्मा ने उत्तराखंड में फिल्म उद्योग के अनेक अनछुए तथ्यों पर चर्चा की। उत्तराखंड फिल्म चैम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष डॉ वर्मा ने बताया कि 1983 में बनी पहली गढ़वाली फिल्म 'जग्वाल' से उत्तराखंड में क्षेत्रीय फिल्मों का सफर शुरू हुआ, तब से अब तक गढ़वाली में लगभग 25 फिल्में और कुमांऊनी में 2 फिल्में बन चुकी हैं। हाल ही में एक हिंदी फिल्म 'दाये बायें' भी प्रदर्शित हुई है जिसकी निर्देशक नैनीताल की बेला नेगी हैं। इस पूरी फिल्म का भी कुमाऊं में ही छायांकन हुआ है।
वर्मा का कहना है कि उत्तराखंड में फिल्म फाइनेंसर न होने के कारण जहां फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों के निर्माण में कठिनाई महसूस कर रहे हैं वहीं उत्तराखंड सरकार भी इस दिशा में कोई सहयोग नहीं कर रही है। क्षेत्रीय फिल्मों का वितरण भी न के बराबर ही है। उधर राज्य भर में पुराने छविगृह बंद होते जा रहे हैं और क्षेत्रीय फिल्मों का प्रदर्शन एक समस्या बनता जा रहा है। राज्य फिल्म विकास परिषद और राज्य फिल्म नीति न होने के कारण यहां का फिल्म उद्योग मूर्छित पड़ा है। पिछले चार-पांच साल से फिल्म विकास परिषद का गठन तक नहीं हो सका है।