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बहराइच। केले की खेती बहराइच जनपद के किसानों की समृद्धि और लोकप्रियता का वरदान बन गई है। उद्यान विभाग और किसानों में परस्पर सहयोग एवं परिश्रम के परिणाम स्वरूप आज बहराइच के किसान, गुणवत्ता युक्त केले के उत्पादन में राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार हासिल कर रहे हैं। वे छोटे किसान भी आज केले के उत्पादन में अपनी समृद्धि सुनिश्चित कर रहे हैं जिन्हें भविष्य में खेती से निराशा होती जा रही थी। हाल ही में लखनऊ में हुई राज्य स्तरीय प्रादेशिक फल, पुष्प एवं शाकभाजी प्रदर्शनी में प्रदेश स्तर पर एक बार फिर जनपद-बहराइच का केला प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर आया। प्रादेशिक प्रदर्शनी में जनपद-बहराइच के प्रगतिशील कृषक अजीम मिर्जा और अंजुम परवीन को क्रमशः प्रथम और द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है, जो कि जनपद के फल और शाक सब्जी उत्पादकों के लिए गौरव की बात है।
अजीम मिर्जा ने अपनी मेहनत से आज यह मुकाम हासिल किया है। अजीम मिर्जा पिछले 3 वर्ष से केले की खेती कर रहे हैं। मिर्जा को प्रथम वर्ष ने अनुभव कम होने के कारण केला उत्पादन में अच्छी सफलता नही प्राप्त हुई थी मगर इस वर्ष उन्हें 2.50 हेक्टेयर क्षेत्र में केले की खेती से करीब 7.50 लाख रूपये का शुद्ध लाभ हुआ जोकि अन्य कृषकों के लिए एक प्रेरणा है। जनपद बहराइच में वर्ष 1993 से दीन दयाल विशेष रोजगार योजना के अंतर्गत केले की खेती शुरू की गयी थी। उस समय केला हरी छाल की खेती परंपरागत तरीके से की जा रही थी, जिससे कृषकों को अच्छा लाभ नही मिल पा रहा था। वर्ष 1999 में कृषि विविधिकरण परियोजना में प्रथम बार जनपद-बहराइच केला टिश्यू कल्चर, प्रजाति-ग्रेंडनैन के 4500 पौधे जलगांव महाराष्ट्र से मंगाए गए। परिवहन खर्चा अधिक होने के कारण उस समय 22 रूपये प्रति पौधा मूल्य देना पड़ा। उसके बाद की प्रगति का आलम यह है कि आज जनपद में विभिन्न कंपनियों के 5 नेट हाउस हैं, जिसमें लाखों पौधों की हार्डनिंग होती है।
वर्ष 2006-7 से वर्ष 2009-10 तक सघन क्षेत्रों में व्यवसायिक औद्यानिक विकास योजना के अंतर्गत वृहद स्तर पर केला टिश्यूकल्चर की खेती व्यापक स्तर पर कराई गई। इसी का परिणाम है कि आज जनपद स्तर पर ही उच्च गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री उपलब्ध हो रही है और केले की खेती के क्षेत्रफल में भी बहुत बढ़ोतरी हुई है और केले की उत्पादन लागत में भी काफी कमी आयी है जिससे कृषकों का लाभांश काफी बढ़ा है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार औसतन 1 हेक्टेयर टिश्यू कल्चर केले से ढाई से तीन लाख रूपये तक शुद्ध आय हो जाती है।
जनपद बहराइच में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत ग्राम-सुरजामाफी विकास खंड चित्तौरा में भी प्रदेश स्तरीय केला गोष्ठी का सफलता पूर्वक आयोजन किया जा चुका है। जनपद के प्रगतिशील कृषक जय सिंह, केला उत्पादन में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। जय सिंह द्वारा उत्पादित उच्च गुणवत्ता युक्त केला आज प्रदेश और प्रदेश के बाहर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में भेजा जाता है। दिल्ली की फल मंडी में जय सिंह का केला अन्य कृषकों के मुकाबले सौ रूपये प्रति कुंतल अधिक दर पर क्रय किया जाता है।
जरवल गांव के रहने वाले गुलाम मोहम्मद को भी प्रदेश में केला उत्पादन में द्वितीय स्थान प्राप्त हो चुका है। गुलाम मोहम्मद ने वर्ष 2001 में ढाई बीघा क्षेत्र में केले की खेती से अपना कृषि व्यवसाय शुरू किया था और वर्तमान में गुलाम मोहम्मद 150 बीघे में केले की खेती कर रहे हैं। वर्ष 1999 में जनपद बहराइच के चित्तौरा, तेजवापुर, फखरपुर विकास खंड में मात्र दो-तीन सौ हेक्टेयर क्षेत्र में ही केले की खेती होती थी जबकि आज जनपद के सभी विकास खंडों में केले की खेती नगदी फसल के रूप में की जा रही है। जनपद के उद्यान निरीक्षक आरके वर्मा कृषकों में केले की पैदावार के प्रति काफी जागरूकता पैदा कर रहे हैं इससे हरी छाल केले के स्थान पर प्रजातीय बदलाव कर केला टिश्यू कल्चर ग्रेंडनैन की खेती व्यापक पैमाने पर की जा रही है।
बहराइच का केला उत्पादन प्रदेश में प्रथम स्थान है। यहां के किसान जनपद के उद्यान विभाग के मार्ग दर्शन और सहयोग की प्रशंसा करते हैं। किसानों का कहना है कि विगत तीन-चार वर्ष से उनको केले की खेती उत्पादन में प्रदेश में प्रथम स्थान मिलता आ रहा है, जो कि जनपद के कृषकों के लिए गौरव की बात है। उद्यान विभाग जनपद में केला उत्पादन के लिए बहुत परिश्रम कर रहा है, उसने स्थानीय स्तर पर छोटे किसानों को तकनीकी और रोपण सामग्री सुलभ करा कर उनकी आर्थिक समृद्धि को बढ़ाया है। उद्यान विभाग की यह रोजगारोन्मुख कोशिश बहराइच की आर्थिक प्रगति का आधार बन चुकी है।