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नई दिल्ली। रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीकांत जेना ने राज्य सभा में बताया कि सरकार ने 4 सितंबर 2008 को यूरिया क्षेत्र के लिए एक नई निवेश नीति अधिसूचित की है। इस नीति को उर्वरक उद्योग के साथ परामर्श के बाद अंतिम रूप दिया गया है। नीति का उद्देश्य पुनरूद्धार विस्तार, मौजूदा यूरिया इकाइयों का पुनरूद्धार और ग्रीनफील्ड/ब्राउनफील्ड परियोजनाओं की स्थापना करना है।
उर्वरक उद्योग ने मौजूदा क्षमताओं के पुनरूद्धार के लिए निवेश का निर्णय लेकर नई निवेश नीति के प्रति सकरात्मक प्रतिक्रिया की है। उर्वरक इकाइयों जैसे इफको आंवला-1 एवं 2, इफको-फुलपुर-1 और 2, चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (सीएफसीएल)-गड़ेपान-1 एवं 2, नागार्जुन फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (एनएफसीएल), काकीनाड़ा 1 और 2 तथा टाटा केमिकल्स लिमिटेड-बराला इकाई ने पुनरूद्धार के बाद यूरिया के अतिरिक्त उत्पादन की उपलब्धता के संबंध में सूचित किया है।
इसके अतिरिक्त आरसीएफ, थाल, कृभको-हजीरा और एनएफएल, वियजपुर ने अपनी इकाइयों का पुनरूद्धार किया है। कपंनियां सरकार से नियमित रूप से घरेलू गैस स्रोतों से पूर्व निर्धारित मूल्यों पर गैस का निश्चित आवंटन करने अथवा गैस के सुपुर्दगी मूल्य में वृद्धि के कारण उत्पन्न होने वाली किसी भी अतिरिक्त देयता को निर्धारित मूल्य पर प्राकृतिक गैस के आवंटन की किसी भी प्रतिबद्धता के अभाव में न्यूनतम मूल्य में तदनुरूपी वृद्धि करके उद्योग को उबारने का नियमित रूप से निवेदन कर रही हैं। यहां बताई गई बाध्यताओं की उर्वरक विभाग जांच कर रहा है। जहां तक विभिन्न संयंत्रों के लिए गैस की उपलब्धता का संबंध है, गैस मूल्य और इसके वाणिज्यिक उपयोग पर मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह ने निर्णय लिया है कि उर्वरक क्षेत्र को गैस के आवंटन के लिए उच्चतम प्राथमिकता दी जाएगी। जब भी ये इकाइयां गैस के उपयोग के लिए तैयार होंगी, उन्हें प्राकृतिक गैस की आपूर्ति कर दी जाएगी।