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लखनऊ। लघु उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव सत्यजीत ठाकुर ने कहा है कि जनसंख्या के बढ़ते रहने के फलस्वरूप रोजगार के अवसरों में जो कमी हो रही है उसे हमें एक बड़ी चुनौती के रूप में स्वीकार करना है। उद्यमिता विकास संस्थान के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सम्मेलन एवं प्रदर्शनी के उद्घाटन पर उन्होंने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिये सरकार तत्पर है और इसका सामना करने के लिए कई नई योजनाएं तैयार की गई हैं। उन्होंने कहा कि नियति, नीति और निष्ठा को एक साथ आत्मसात करके ही हम आम आदमी के जीवन स्तर को ऊपर उठा सकते हैं, परंतु इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है हमारी सोच और जानकारी।
प्रमुख सचिव ने कहा कि किसी भी उद्यम की स्थापना के लिये भूमि, भवन, पूंजी, साहस और जोखिम की आवश्यकता तो पड़ती ही है। उन्होंने कहा कि कलस्टर योजना की समीक्षा के दौरान यह आभास हुआ है कि इस योजना से तमाम गांवों को जोड़ा जा सकता है, इस प्रकार हमें योजना का दायरा बढ़ाने के साथ ही इस बात का ध्यान भी रखना होगा कि योजनाओं के क्रियान्वयन में जो दलाल और बिचौलिये आ जाते हैं, उन्हें पनपने न दिया जाए। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और इंटरनेट के इस दौर में भी दूर-दराज के जो लोग सूचना से वंचित हैं, उन्हें भी हम सूचनाएं दे सकें यह हमारी जिम्मेदारी बनती है, हमें गांव के लोगों को आगे लाने की जरूरत है।
सत्यजीत ठाकुर ने कहा कि विकास के इस दौर में जबकि ज्ञान-विज्ञान दिन-प्रतिदिन ही नहीं बल्कि प्रति मिनट विकास कर रहा है वहां ज्ञान का प्रसारण अति आवश्यक है, सभी को अतीत में डूबे रहने के बजाय वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप ज्ञान का विस्तार और तौर-तरीकों में परिवर्तन लाने की जरूरत है। उन्होंने अपने अनुभव बताते हुये कहा कि हम विकास खंड एवं ग्राम स्तर पर ग्रामीणों के विकास और उत्थान के लिये ऋण वितरित करते हैं लेकिन दूसरी तरफ हम पाते हैं कि वसूली के लिये तहसीलदार के डंडे के डर से उद्यमियों की रातों की नींद गायब हो जाती है। इसलिये हमें यह समझना बहुत आवश्यक है कि इन सारे प्रयासों और योजनाओं का मुख्य उद्देश्य क्या है, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए और लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुये चुनौती का सामना करने के प्रयास किए जाने चाहिएं। उन्होंने संस्थान में इस तरह के वृहद सम्मेलन के आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं और विश्वास व्यक्त किया कि संस्थान एमएसएमई के क्षेत्र में विकास के नये सार्थक प्रयास करेगा जिससे नये आयाम स्थापित होंगे।
संस्थान के निदेशक डीपी सिंह ने सम्मेलन में आये अतिथियों का स्वागत करते हुये कहा कि संस्थान अब तक पांच हज़ार प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से एक लाख अस्सी हज़ार उद्यमियों को प्रशिक्षित कर चुका है। उन्होंने संस्थान परिसर में आये सभी उद्यमियों, बैंकर्स और विभिन्न इंजीनियरिंग कालेजों के छात्रों का भी आभार व्यक्त किया और उन्हें यह भरोसा दिलाया कि भविष्य में इस प्रकार के बड़े सेमिनारों को आयोजित कर प्रदेश में उद्यमी भावना एवं उद्यमवृति के वातावरण का सृजन किया जाता रहेगा।
अतिथि वक्ता सत्येंद्र कुमार श्रीवास्तव महाप्रबंधक टीवीआई, काइट इंजीनियरिंग कालेज गाजियाबाद ने सम्मेलन और कार्यशाला में शामिल विषयों एवं पत्रिका में प्रकाशित लेखों पर प्रकाश डाला। प्रदेश के जाने माने अर्थशास्त्री अरविंद मोहन ने भी अपने विचार और अनुभव रखे। उनका कहना था कि आर्थिक सुधारों का प्रारंभ 1991 में हुआ जो कि शहरी क्षेत्रों की परिस्थितियों पर आधारित थे, उस समय हमारी अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही थी और सदी की समाप्ति तक हम अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गए, आज जबकि पश्चिमी एवं विकसित अर्थव्यवस्थाएं निगेटिव विकास दर दर्शा रही हैं, वहीं भारत और चीन ही अपनी सकारात्मक विकास दर दर्शा रहे हैं जोकि एक अच्छी स्थिति है। उन्होंने कहा कि हमारे पास उद्योग स्थापना से संबंधित संसाधन एवं बाजार और मांग पर्याप्त है, आवश्यकता है तो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहित करने की। इक्कीसवीं शताब्दी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र की है, जिसके लिये हमें अगली पीढ़ी के आर्थिक सुधारों की आवश्यकता है। इस बात की भी आवश्यकता है कि इस क्षेत्र में उद्यमों की व्यक्तिगत लघुता को सामूहिक शक्ति में परिवर्तित किया जाए। सम्मेलन को कुछ और ख्याति प्राप्त विषय विशेषज्ञों और उच्च स्तरीय अधिकारियों ने भी संबोधित किया। संस्थान के संकाय सदस्य अमरनाथ पाण्डेय ने अतिथियों का धन्यवाद देते हुए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र में संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यशाला का संचालन एएस राठौर ने किया।
संस्थान के कानपुर रोड स्थित परिसर में नेशनल सम्मेलन कम प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य देश में एमएसएमई के विभिन्न स्टेक होल्डर्स जैसे सरकार, उद्योग, निवेशक, डेवलपमेंट एजेंट्स, संभावित उद्यमी, प्रोफेशनल्स एवं शैक्षिक संगठनों को एक मंच पर लाना है, जिससे कि उपलब्ध संसाधन और संभावनाओं, एक दूसरे की आवश्यकताओं, अपेक्षाओं, अनुभवों एवं टेक्नोलॉजी आदि को जाना-समझा जा सके। सम्मेलन में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, संस्थाओं, सार्वजनिक उद्यमों, विकासपरक संगठनों, उद्योग एवं उद्योग एसोसिएशंस, तकनीकी एवं प्रबंधन कालेज एवं विश्वविद्यालयों, बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थाओं की सहभागिता है। हस्तशिल्प विभाग की ओर से यहां एक विशेष वित्तीय सहयोग एवं हस्तशिल्पों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आए विभिन्न प्रकार के आकर्षक एवं उपयोगी हस्तशिल्प एवं उत्पाद बहुत ही रियायती दरों पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।