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उच्च शिक्षा प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह-राज्यपाल

उत्तराखंड में उच्च शिक्षा विषय पर कार्यशाला

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मार्ग्रेट आल्वा-margaret alva

देहरादून। उत्तराखंड की राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा ने दून विश्वविद्यालय देहरादून की उत्तराखंड में उच्च शिक्षा विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया जो कि राज्य में उच्च शिक्षा के प्रमुख मुद्दों और चुनौतियों पर गंभीर विचार विमर्श हेतु आहूत की गई थी। राज्यपाल जो सभी विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति हैं ने कार्यशाला के प्रतिभागी विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और विशेषज्ञों के बीच कहाकि उच्च शिक्षण संस्थानों की शिक्षा का रोजगार प्रदाता संस्थानों की मांग के अनुरूप न होना एक गंभीर एवं चिंतनीय विषय है इससे राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली की उपयोगिता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा है, इसलिए आज यह आवश्यक हो गया है कि हम वैश्विक जगत की आवश्यकता, मानकों और गति के अनुरूप उच्च शिक्षा प्रणाली को विकसित करें।

राज्यपाल ने कहा कि युवाओं को सरल पाठ्यक्रमों में स्नातक या परास्नातक की उपाधियां प्रदान करने में सावधानी बरतने की नितांत आवश्यकता है। हम रोजगार से विमुख उपाधियां बांटकर शिक्षित बेरोजगारों की एक बड़ी जमात खड़ा करने से उत्पन्न खतरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते, इसके लिए आवश्यकतानुसार सामान्य पाठ्क्रमों को व्यवसायिक पाठ्क्रमों में समाहित करना होगा। कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रबुद्ध प्रतिनिधियों का ध्यानाकर्षण करते हुए राज्यपाल ने उच्च शिक्षा के आधुनिकीकरण, मानकीकरण और गुणवत्ता पर विशेष बल दिया। उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की इस क्षेत्र में सुधार संबंधी गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब उत्तराखंड में भी सामान्य शिक्षा और उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के गंभीर प्रयास आवश्यक हो गए हैं, केवल शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ने से अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे।

उन्होंने वर्तमान में राज्य में संचालित उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संस्थानों की संख्या बढ़ाने की अपेक्षा विद्यमान संस्थानों को सुदृढ़ता प्रदान करने पर अधिक ध्यान दिया जाए। युवाओं में कौशल विकास के ज्ञान को व्यवहृत किये जाने, उत्कृष्ठता हेतु संस्थानों की स्वायत्तता, उनके दायित्व निर्धारण, अंतरविश्वविद्यालयी पाठ्क्रमों में समानता और वाह्य हस्तक्षेप के न्यूनीकरण, आंतरिक समन्वयन, संकाय सदस्यों के मध्य संवाद को प्रोत्साहन एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों के बीच नेटवर्किंग जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर राज्यपाल ने प्रकाश डालने के साथ ही शिक्षण की शैलियों में भी अपेक्षित सुधार लाने की आवश्यकता जताई।

राज्यपाल ने शिक्षा के साथ-साथ युवाओं में नैतिक चरित्र की दृढ़ता प्रदान करते हुए उन्हें एक आदर्श नागरिक बनाने वाली शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाया जाये तभी शिक्षित युवा एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभा सकेंगे। इस अवसर पर राज्यपाल ने दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गिरिजेश पंत की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए डॉ पंत निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये कुलपति एवं शिक्षा विशेषज्ञों की इस कार्यशाला में भागीदारी निश्चित ही व्यवहारिक सुझावों को सामने लाने में सहायक होगी। कुलपति डॉ गिरिजेश पंत ने कार्यशाला के उद्देश्यों और विषयों पर प्रकाश डाला।

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