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नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने समझौता एक्सप्रेस ट्रेन विस्फोट मामले की सघन जांच में एक और सफलता का दावा किया है। एनआईए ने फरवरी 2007 में हुए समझौता ट्रेन विस्फोट की जांच विभिन्न राज्यों में कई स्थानों पर की। जांच में फोरेंसिक साइंस और रेलवे के विशेषज्ञ भी शामिल थे। इस मामले में एक अहम सफलता दिसंबर 2010 में समझौता ट्रेन विस्फोट के मुख्य षडयंत्रकारी की गिरफ्तारी से मिली थी। इस षडयंत्रकारी ने न केवल विस्फोट में अपनी भूमिका को स्वीकारी बल्कि इसमें शामिल अन्य अभियुक्तों के नामों का खुलासा भी किया। मामले की जांच आगे भी जारी है।
भारत सरकार के निर्देश पर एनआईए ने समझौता ट्रेन विस्फोट मामले की जांच का जिम्मा 29 जुलाई 2010 को लिया था। एनआई ने मामले को अपराध संख्या 09/2010 एनआईए-नई दिल्ली और आईपीसी की धारा 302, 307, 124ए, और एक्सप्लोसिव सब्सटैंसेज की धारा 3, 4 और 6 के तहत दर्ज किया था। मामले को जन धन के नुक्सान के तहत धारा संख्या 3, 4 और रेलवे के एक्ट 150, 151 और 152 के तहत दर्ज किया गया है। मामले की जांच के दौरान इसमें यूए (पी) के एक्ट 16 और 18 को भी जोड़ा गया।
समझौता एक्सप्रेस विस्फोट नई दिल्ली-अटारी एक्सप्रेस (समझौता एक्सप्रेस) में 18 और 19 फरवरी 2007 की रात हुआ था। इसमें 68 लोग मारे गए थे, जबकि 12 गंभीर रूप से घायल हुए थे। समझौता एक्सप्रेस में यह विस्फोट हरियाणा के दीवाना और पानीपत रेलवे स्टेशनों के बीच हुआ था। समझौता ट्रेन विस्फोट मामले की जांच 29 जुलाई 2010 तक हरियाणा पुलिस कर रही थी। फोरेंसिक जांच के मुताबिक विस्फोट में कम तीव्रता वाले विस्फोटक का प्रयोग किया गया था।