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नई दिल्ली। सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम मंत्रालय ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग को 182.02 करोड़ रुपये जारी करने की मंजूरी दे दी है। यह राशि खादी संस्थाओं के छूट संबंधी पुराने दावों के निपटारे और उनके ऐसे भंडार पर जिन्हें 31 मार्च 2010 तक बेचा नहीं जा सका था, को एक मुश्त प्रोत्साहन देने पर खर्च की जाएगी। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम मंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि इस वित्तीय सहायता से खादी संस्थाएं छूट की बकाया राशि प्राप्त करके लाभान्वित होंगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इससे वे एमडीए योजना को आसानी से अपना सकेंगे और विपणन आधारित उत्पादन अपनाकर खादी उत्पादों की कार्य कुशलता, उत्पादकता, विक्रेयता, उत्पादन और बिक्री बढ़ा सकेंगे। इसके अलावा बुनकरों आदि की आमदनी में भी वृद्धि होगी।
खादी के उत्पादन पर आधारित एमडीए की नई नीति पहली अप्रैल 2010 से शुरू की गयी थी। इसके आधार पर खादी संस्थाएं, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग से उत्पादन के मूल्य के बीस प्रतिशत दर से वित्तीय सहायता उत्पादन के वर्ष के दौरान ही त्रैमासिक आधार पर प्राप्त कर सकते हैं। आशा की गई है कि इससे खादी संस्थाओं के सामने कामकाजी पूंजी संकट को कम करने में सहायता मिलेगी। खादी के कारीगर भी जो अधिकतर हाशिये पर रहते थे, एमडीए नीति शुरू किये जाने के साथ खादी उत्पादन पर सहायता के 25 प्रतिशत हिस्से को प्राप्त करने के अधिकारी बन जाते हैं और यह राशि बैंकों/डाकघरों में अपने खातों के जरिये प्राप्त कर सकते हैं। एमडीए योजना खादी उत्पादों की कीमतों में लचीलेपन की सुविधा भी देती है और उत्पादन आधारित मांग को प्रोत्साहित करती है, इसके अलावा डिजाइनों में सुधार भी लाती है। खादी संस्थाएं अपने बिक्री केंद्रों को सजाने के साथ-साथ ग्राहकों को आवश्यकता आधारित छूट देने को भी स्वतंत्र होंगी।