स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2010-11 के लिए 4300 करोड़ रूपये (संशोधित अनुमान) के अपने आवंटित बजट का 97.2 प्रतिशत का उपयोग किया है। वर्ष के दौरान अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़े वर्गों, विकलांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों और अन्य पीड़ितों के लिए मंत्रालय की विभिन्न कल्याण योजनाओं पर कुल 4178.06 करोड़ रूपये व्यय किए गए हैं।इन योजना निधियों का सबसे बड़ा भाग अनुसूचित जाति के विकास की स्कीमों पर व्यय किया गया। इन पर 3327 करोड़ रूपये की राशि का उपयोग किया गया, जिसमें अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पिछले वर्ष जुलाई में संशोधित मैट्रिक पश्चात छात्रवृत्ति योजना (2097 करोड़ रूपये) शामिल हैं।
अनुसूचित जाति विकास की अन्य स्कीमों में अनुसूचित जाति विशेष केन्द्रीय सहायता के लिए उप-योजना (587 करोड़ रूपये), अनुसूचित जाति के बालकों और बालिकाओं के लिए होस्टल (188 करोड़ रूपये) और प्रायोगिक तौर पर 1000 अनुसूचित जाति बहुल गांवों के एकीकृत विकास के लिए प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (97 करोड़ रूपये) शामिल हैं। अन्य पिछड़े वर्गों ओबीसी से संबंधित स्कीमों पर 465 करोड़ रूपये की राशि व्यय की गई, जिसका एक बड़ा भाग (353 करोड़ रूपये) पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए मैट्रिक पश्चात छात्रवृति पर खर्च हुआ।वर्ष के दौरान विकलांग जन कल्याण के लिए योजनाओं पर 314 करोड़ रूपये की राशि व्यय की गई। इसी प्रकार, सामाजिक सुरक्षा क्षेत्र पर 60 करोड़ रूपये की राशि व्यय की गई, जिसमें शराब की लत और नशीली दवाओं के उपयोग को रोकने संबंधी योजना और वृद्ध व्यक्तियों के लिए एकीकृत कार्यक्रम आदि शामिल हैं।