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'विश्वकप की यही असली ट्रॉफी!'

सीबीईसी का स्पष्टीकरण

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विश्वकप ट्रॉफी 2011-world cup trophy 2011

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय के केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने इस बात से इंकार किया है कि असली आईसीसी क्रिकेट विश्वकप- 2011 ट्रॉफी मुंबई में हवाई अड्डा सीमा शुल्क भंडार में रखी है। यह स्पष्टीकरण मीडिया के एक वर्ग में छपी इस रिपोर्ट के उत्तर में जारी किया गया है कि मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में शनिवार, 2 अप्रैल 2011 को विजेता भारतीय क्रिकेट टीम को असली आईसीसी क्रिकेट विश्वकप ट्रॉफी नहीं दी गयी है।

आईसीसी ने यह भी सुनिश्चित किया है कि वानखेडे स्टेडियम में शनिवार 2 अप्रैल 2011 को भारतीय क्रिकेट टीम को भेंट की गयी ट्रॉफी ही असली आईसीसी क्रिकेट विश्वकप 2011 ट्रॉफी है और यह वही ट्रॉफी है, जिसके पीछे विजेता टीम को प्रस्तुत करने की मंशा थी। यह भी कहा गया है कि मुंबई सीमा शुल्क विभाग द्वारा अधिकार में ली गयी ट्रॉफी प्रोत्साहनात्मक, चिरस्थाई ट्रॉफी है, जो आईसीसी के दुबई स्थित मुख्यालय के भंडार में रहती है। इस पर आईसीसी कॉर्पोरेट का समान्य लोगो रहता है ना कि 2011 प्रतियोगिता का विशिष्ठ लोगो।

मुंबई हवाई अड्डे पर रखी यह ट्रॉफी आज वापस ली जाएगी और जैसा कि सदा मंशा रहती है, आईसीसी कर्मचारियों के साथ वापस दुबई ले जाई जाएगी। सीबीईसी ने यह भी सूचित किया है कि इम्मा वैटे और रिक्सन हैडर नामक दो यात्री पहली अप्रैल 2011 को डब्ल्यू 255 विमान से कोलंबो से मुंबई हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। उनके पास अपने निजी सामान में एक ट्रॉफी थी, जिसके बारे में आईसीसी चिरस्थाई ट्रॉफी का दावा किया गया था। आईसीसी क्रिकेट विश्वकप 2011 टूर्नामेंट के लिए अस्थाई रूप से आयातित सभी सामान और उपकरणों की सूची आईसीसी टूर्नामेंट समिति को दी गयी थी, जिन्हें सीमा शुल्क से छूट दी गयी है और आईसीसी टूर्नामेंट समिति को दी गयी सूची में उपरोक्त ट्रॉफी का नाम नहीं था, जिसे यात्रियों ने आईसीसी चिरस्थाई ट्रॉफी बताया गया था।

सभी संदेहों को दूर करने के लिए संबद्ध सीमा शुल्क अधिकारियों ने आईसीसी टूर्नामेंट के निदेशक से संपर्क स्थापित करके उस ट्रॉफी के बारे में पूछताछ की, ताकि उचित कार्रवाई जल्दी से की जा सके और मामले को हल किया जा सके। आईसीसी क्रिकेट विश्वकप 2011 टूर्नामेंट के निदेशक प्रोफेसर आर एस शेट्टी ने सीमा शुल्क आयुक्त को अपने पहली अप्रैल 2011 के पत्र से सूचित किया कि जिस ट्रॉफी के बारे में पूछा गया है वह देश में चल रहे विश्वकप प्रतियोगिता में किसी उद्देश्य के लिए प्रयोग में नहीं लाई जानी थी, यह इम्मा वैटे और रिक्सन हैडर के निजी सामान के रूप में ले जाई जा रही थी और यह भारत में उनका कार्य पूरा होने पर आईसीसी मुख्यालय में वापस ले जाई जानी थी।

बताया गया है कि यह यात्री अपने गन्तव्य स्थल को लौटते समय ट्रॉफी को प्राप्त कर लेगा। प्रोफेसर शेट्टी ने अपने पत्र में यह भी अनुरोध किया था कि मुंबई हवाई अड्डा स्थित सीमा शुल्क कार्यालय इस ट्रॉफी को अपने भंडार में उस समय तक रखे, जब तककि उपरोक्त यात्री लौटते समय इसे प्राप्त न करें। इसलिए यह स्पष्ट है कि विजेता टीम के लिए जो ट्रॉफी थी, वह विजेता टीम को दे दी गयी है और ऐसा प्रतीत होता है कि एक गैर जरूरी विवाद यूंही इस मामले में खड़ा हो गया।

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