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जनजातियों को चाहिएं पर्याप्त सामाजिक अधिकार

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नई दिल्ली। जनजातीय मामलों के मंत्री कांतिलाल भूरिया ने पूरे देश में लोगों को पर्याप्त सामाजिक अधिकार नहीं मिलने पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कहा है कि जनजातियों को उनके सामाजिक अधिकारों के साथ सशक्‍त बनाना सरकार की प्राथमिकता और जिम्मेदारी है। वे जनजातियों एवं अन्‍य परंपरागत वनवासी (वन अधिकारों की मान्‍यता) अधिनियम, 2006 को लागू करने में हुई प्रगति की समीक्षा करने के लिए राज्‍य सचिवों/जनजाति कल्‍याण आयुक्‍तों की बैठक में बोल रहे थे।

भूरिया ने बताया कि मार्च 2011 अंत तक 30,61,783 दावे प्राप्‍त हुए हैं, जिनमें से 11,28,729 को स्‍वामित्‍व अधिकार दे दिए गए हैं लेकिन अभी बहुत कुछ प्राप्त करना है। उन्‍होंने राज्‍यों से कहा कि वे इस अधिनियम को लागू करने में आ रही बाधाओं को दूर करें और इसे सच्‍चे अर्थों में लागू करने की राह प्रशस्‍त करें। उन्‍होंने आगे कहा कि यह बिल्‍कुल सही समय है कि जनजातियों को उनके सामाजिक अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए ताकि वे अपने दावे करके समय पर स्‍वामित्‍व अधिकार प्राप्‍त कर लें। जनजातीय राज्‍य मंत्री महादेव सिंह खंडेला ने सामूहिक जानकारी, प्रतिभा एवं अनुभव की सहायता से नई नीति बनाने की आवश्‍यकता पर जोर दिया जो एफआरए को लागू करने में सक्रिय रूप से कार्य कर सके।

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