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देहरादून। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शनिवार को ओएनजीसी के एएमएन घोष सभागार में उत्तराखंड भाषा संस्थान के लोक भाषा सम्मेलन में राज्य के वरिष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित किया। सम्मेलन में महत्तर सम्मान से डॉ देवी दत्त शर्मा एवं डॉ हरिदत्त भट्ट 'शैलेष' को, गुमानी पंत सम्मान से शिवराज सिंह रावत ‘निसंग’ एवं शेर सिंह पांगती को, मौलाराम सम्मान से डॉ शिव प्रसाद भारद्वाज, प्रोफेसर विष्णु दत्त ‘राकेश’, कैलाश चंद्र लोहानी को, पीतांबर दत्त बड़थ्वाल सम्मान से हर्ष पर्वतीय, शेर सिंह मेहता ‘कुमाऊंनी’ को और डॉ गोविंद चातक सम्मान से भगवती प्रसाद नौटियाल, डॉ अचलानंद जखमोला, मथुरा दत्त मठपाल, डॉ जग्गू नौडियाल, वीणा पाणि जोशी, गोपाल दत्त भट्ट, बिहारी लाल दनोशी, डॉ मधुबाला नयाल, डॉ देव सिंह पोखरिया, डॉ शेर सिंह बिष्ट, भारती पांडे, केशव चंद्र सकलानी, नंद किशोर हटवाल, मदन मोहन डुकलान एवं दिनेश चमोला को सम्मानित किया गया।
सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक भाषाओं सहित सभी भाषाओं के संरक्षण संवर्धन के लिए दून विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय भाषा संस्थान स्थापित किया जाएगा। उन्होंने मंच पर उपस्थित दून विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गिरिजेश पंत को शीघ्र ही आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने संस्कृत विश्वविद्यालय में अनुवाद प्रकोष्ठ की स्थापना करने की घोषणा भी की, जिसमें विभिन्न भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों को परस्पर अनूदित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाषाओं के संरक्षण के लिए यह आवश्यक है, कि नई पीढ़ी को इनसे जोड़ा जाए साथ ही हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। निशंक ने कहा कि जिस प्रकार हिंदी पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरो सकती है, उसी प्रकार संस्कृत पूरे विश्व को एक सूत्र में बांध सकती है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय बोलियों की दृष्टि से गढ़वाली और कुमाऊंनी सहित उत्तराखंड की लोक भाषाओं में समृद्ध साहित्य विद्यमान है और इसे संरक्षित करने के सभी प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने भाषा संस्थान के पुरस्कारों को एक अच्छी पहल बताते हुए कहा कि भविष्य में ऐसे और भी श्रेष्ठ आयोजन किए जाएंगे।
भाषा संस्थान की निदेशक डॉ सविता मोहन ने बताया कि भाषा संस्थान, राज्य के साहित्यकारों के सम्मान और लुप्त होती पुरानी पांडुलिपियों के प्रकाशन के लिए प्रतिबद्ध है। संस्थान ने उत्तराखंड के युग पुरोधा साहित्यकारों के नाम पर सम्मान प्रारम्भ किए हैं। इन पुरस्कारों के लिए सार्वजनिक रूप से विज्ञापन के माध्यम से नाम आमंत्रित किये गए थे और प्राप्त हुए 68 नामांकनों में सम्मान चयन समिति ने 22 नाम चुने, इसके साथ संपूर्ण जीवन में अप्रतिम योगदान के लिए दो साहित्यकारों को महत्तर सम्मान भी प्रदान करने का निर्णय लिया गया। समारोह में ग्राम्य विकास मंत्री विजया बड़थ्वाल, वरिष्ठ साहित्यकार हिमांषु जोशी, लीलाधर जगूड़ी, डीडी शर्मा, कुलपति दून विश्वविद्यालय गिरिजेश पंत, कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय डॉ सुधा पांडेय, कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय डॉ अरोड़ा, डॉ अरुण ढौढ़ियाल और प्रोफेसर महावीर अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर डॉ सुशील उपाध्याय, प्रदेश के दूरस्थ स्थानों से आए साहित्यकार एवं अतिथि उपस्थित थे।