स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
मऊ-काशीराम नगर। कांग्रेस के युवा नेता अब्दुल हफीज़ गांधी को कांशीराम नगर जनपद करीब ढाई सौ किलोमीटर पैदल चलकर गांव देहात कस्बों की धूल फांकने के बाद एहसास हुआ है कि विकास की योजनाएं बना देने मात्र से गरीब, मजदूर और किसान का भला नहीं होने वाला है, अगर हम योजनाओं के सही लागू होने के बारे में जानना चाहते हैं तो हमें धरातल पर ही जा कर पता करना होगा, इसे मैंने भी पद यात्रा करके जानने का प्रयास किया है कि खामी कहां है और उसे दूर करने के लिए क्या उपाए करने चाहिएं। बाईस दिन की इस परिवर्तन और जनहित पदयात्रा में हफीज़ गांधी आम लोगों से मिले जिसके बाद ग्रामीण विकास को लेकर उनकी सोच में काफी बदलाव आया है इसमें यह बात हर जगह सामने आई कि ऊपरी स्तर पर योजनाएं बनाने और उन्हें धरातल पर लागू करने में भारी अंतर है।
अब्दुल हफीज़ गांधी का कहना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पा रहा है और किसी तरह पहुंचा भी है तो सरकारी और ठेकेदार तंत्र इतना भ्रष्ट है कि सारी मलाई ये ही मार ले जाते हैं। अभी हाल ही में गंगा आई बाढ़ के कारण दोनों तरफ के इलाके में तबाह हो गए लोगों की फसलें उजड़ गईं, मवेशी मारे गए, मकान भी ढह गए पर लेखपालों के भ्रष्टाचार की वजह से प्रभावित लोगों तक ठीक से मदद नहीं पहुंच पाई। लोगों में इसे लेकर काफी गुस्सा देखा गया है। माली मदद देने का कोई मापदंड ही नहीं अपनाया गया। लेखपालों ने जिसे चाहा उतनी ही बीघा ज़मीन के 250 रुपये दिए गए और उतनी ही के 5000 रुपये दिए गए। लेखपालों ने काफी मनमानी की जिसकी वजह से लोग सरकार से काफी असंतुष्ट दिखाई दिए हैं।
तहसील में भी सही काम नहीं हो रहा है, गरीबों को बीपीएल लिस्ट में जगह नहीं मिल पाई है और जिनके मकान पक्के हैं और जिनके यहां ट्रेक्टर हैं उनके नाम भी बीपीएल लिस्ट में मौजूद हैं। सब जगह एक सा ही हाल देखने को मिला है, योजनाएं गरीबों के लिए और लाभ मिल रहा है अमीरों को। इसे तुरंत रोकने कि ज़रुरत है। हफीज़ गांधी ने बताया कि उन्होंने अपनी पद यात्रा के दौरान यह भी देखा कि गरीब लोग बेघर हैं और उनके लिए इंदिरा आवास योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। प्रशासन को जो करना चाहिए वह नहीं कर रहा है।
गंगा पार का इलाका हमेशा उपेक्षित रहा है। किसी ने उस पर गौर नहीं किया है, नतीजा यह कि यह इलाका विकास की दौड़ में काफी पिछड़ गया है। यह इलाका प्रशासनिक तौर पर कांशीराम नगर जनपद का हिस्सा है पर थाना क्षेत्र पड़ोस के जिले में है। इससे लोगों को काफी परेशानी होती है। कम से कम एक पुलिस चौकी काशीराम नगर जनपद की तो खुलनी चाहिए। कोई सरकारी अस्पताल नहीं होने से महिलाओं के प्रसव की भारी समस्या है जिसके चलते कई बार मौत भी हो जाती है। इस इलाके में कोई बैंक भी नहीं है, किसानों को इसके लिए अक्सर पटियाली जाना पड़ता है जो गंगा के तीन किलोमीटर लंबे रेतीले मार्ग को पार कर के जाना होता है। गंगा के दोनों ओर रकबों में सन् 1942 से आज तक चकबंदी भी नहीं हुई है, जिसका फायदा लेखपाल उठाते हैं। वे लोगों को ज़मीनी पट्टे करने के लिए मनमाने पैसे वसूलते हैं। यहां जितनी जल्दी हो, चकबंदी होनी चाहिए।
करीब 15 साल पहले भार्गेन नगर पंचायत में एक नवोदय विद्यालय आया था, उसका फर्नीचर भी आया हुआ पड़ा है पर इस विद्यालय की स्थापना आज तक नहीं हो पाई। इसके कारणों की जांच होनी चाहिए और इसे जितनी जल्दी हो बनवाना चाहिए, इससे इलाके का शैक्षिक पिछड़ापन दूर होगा। हफीज़ गांधी का कहना कि जनपद की सड़कों ही हालत बेहद खस्ता है। सोरों एक पवित्र नगरी है और यहां हर की पैड़ी पर भी सफाई की उचित व्यवस्था नहीं दिखाई देती। जनपद का भ्रमण करने पर यहां एक विश्वविद्यालय की अत्यंत ज़रूरत महसूस हुई इसलिए उन्होंने यहां हज़रत अमीर खुसरो और संत तुलसीदास विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग की है।