स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
देहरादून। नकदी फसलों को किसानों की आमदनी का जरिया बनाने के लिए 40 करोड़ रुपये की कार्य योजना को मंजूरी दी गई है। खास तौर पर सब्जी और मसाले की खेती को बढ़ावा देने के लिए 50 से 75 प्रतिशत तक अनुदान की व्यवस्था की गई है। इस योजना में 3684 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फलों, सब्जियों, मसालों, फूलों की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। मुख्यमंत्री संरक्षित उद्यान विकास योजना में बीस हज़ार पाली हाउस बनाए जाएंगे। ये निर्णय मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में आयोजित हार्टिकल्चर मिशन फॉर नॉर्थ ईस्ट एंड हिमालयन स्टेट्स की मिनी मिशन-2 की बैठक में लिये गये।
मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में बेमौसमी सब्जी, फूलों, सगंध पादपों, मसालों और मधुमक्खी पालन की अपार संभावनाएं हैं। इससे किसानों की आमदनी बढ़ायी जा सकती है। उन्होंने मिशन के तहत किसानों को खेती की नई तकनीक, उन्नतिशील प्रजाति के बीज, खाद और सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि सब्जियों, मशरूम, फूलों और मसालों की खेती के क्षेत्र का विस्तार किया जाए, साथ ही पुराने बगीचों का भी नवीनीकरण किया जाए। इसमें मनरेगा से भी मदद ली जा सकती है। मुख्य सचिव ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का उचित लाभ मिले, इसके लिए बाजार की व्यवस्था भी करनी होगी। इस मकसद से मिशन- 3 में विपणन, रोपवे और मंडी के इंतजाम किये जा रहे हैं। साथ ही साथ मिशन-2 के तहत खाद्य प्रसंस्करण की व्यवस्था भी की जा रही है। यह भी जरूरी है कि किसानों को नकदी फसलों के बारे में जागरूक बनाया जाए। इसके लिए उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था भी मिशन के तहत की गई है। साथ ही एक्सपोजर प्रोग्राम के अंतर्गत किसानों को जनपद और प्रदेश के बाहर भ्रमण भी कराया जा रहा है, ताकि उनकी जानकारी बढ़े। उन्होंने बताया कि राज्य स्तर पर विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही हैं, अध्ययन, अनुश्रवण, मूल्यांकन के लिए टेक्निकल सपोर्ट ग्रुप का भी गठन किया गया है।
निदेशक उद्यान जीएस पांडेय ने बताया कि मिशन योजना में मूल पौध नर्सरियों और नये घटकों, बागवानी नर्सरियों का विकास, बागवानी बाजार सुविधा और श्रंखला विकास केंद्र भी शामिल हैं। विकास की योजना और औद्यानिकी के हस्तांतरण और बागवानी संवर्धन पर ज्यादा जोर दिया गया है। इस साल 1910 हेक्टेयर में आम, लीची, सेब, अमरूद, अखरोट, प्लूम, चेरी आदि फलों का उच्च सघनता रोपण और 450 हेक्टेयर में सामान्य दूरी रोपण किया जाएगा। इस कार्य योजना में सब्जियों के उत्पादन पर विशेष जोर दिया गया है। सब्जियों की खेती में लगभग तिगुना वृद्धि की गई है। मटर, फ्रैंच बीन, भिंडी, पत्तीदार सब्जियों, टमाटर, गोभी, यूरोपीय सब्जियों आदि की खेती 1433 हेक्टेयर में की जाएगी। इन फसलों के उत्पादन से किसानों को कम समय में लाभ मिलेगा। इसी तरह से अदरख, मिर्च, लहसुन, हल्दी आदि मसालों में चौगुनी वृद्धि करते हुए 5546 हेक्टेयर में खेती की जाएगी। जल स्रोतों के निर्माण के लिए 2.79 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही फसलों की सुरक्षा और जैविक खेती के भी इंतजाम किये जा रहे हैं। बैठक में वन एवं ग्राम्य विकास आयुक्त राजीव गुप्ता, सचिव उद्यान विनोद फोनिया सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।