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देहरादून। सामुदायिक सहभागिता के आधार पर राज्य में उत्तराखंड ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता परियोजना शुरू की गई है। इस परियोजना के जरिये गांव में पीने का पानी मुहैया कराया जा रहा है, साथ ही गांव में स्वच्छता के लिए शौचालयों का भी निर्माण कराया जा रहा है। योजना के निर्माण, संचालन और उनके देख-रेख की पूरी जिम्मेदारी पंचायतों को दी गई है। इस योजना में आगणन बनाने से लेकर उनके क्रियान्वयन तक का दायित्व ग्राम पंचायतों को ही दिया गया है। जिस गांव में पेयजल की समस्या है, वहां प्रति परिवार 600 रुपये सामान्य के लिए और 300 रुपये अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए अंशदान जमा करना होता है, इसके बाद परियोजना के अंतर्गत गांव का सर्वे कराया जाता है। गांव की जरूरत के मुताबिक पानी स्रोत का रिचार्ज, मरम्मत या अन्य माध्यम से पेयजल सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
स्मिता मिश्रा के नेतृत्व में विश्व बैंक टीम के सदस्यों ने राज्य का 25 अप्रैल से 29 अप्रैल 2011 तक भ्रमण किया। भ्रमण के बाद विश्व बैंक टीम के सदस्यों ने शुक्रवार को सचिवालय में मुख्य सचिव सुभाष कुमार को प्रगति की जानकारी दी। विश्व बैंक की टीम में डॉ एस सतीश, एस कृष्णामूर्ति, धीरेंद्र कुमार एवं पीयूष डोगरा शामिल थे। विश्व बैंक टीम ने अपने उत्तराखंड भ्रमण में पाया कि पंचायतों की बनाई और चलाई जा रही इस परियोजना से गांव में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। टीम ने मुख्य सचिव को बताया कि योजना के उत्साहजनक परिणाम को देखते हुए इसे वर्ष 2014 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। विश्व बैंक की टीम के सदस्यों ने प्रबंध निदेशक पेयजल निगम, मुख्य महाप्रबंधक जल संस्थान, निदेशक स्वजल परियोजना के साथ चर्चा कर परियोजना की अब तक की प्रगति और आगे की रणनीति तय की।
मुख्य सचिव ने बताया कि वर्ष 2006 से संचालित उत्तराखंड ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता परियोजना में 8270 तोकों में पेयजल, निजी शौचालयों, जल संवर्धन और संरक्षण का कार्य किया जाएगा। कुल 1052 करोड़ रुपये से जून 2014 तक यह कार्य पूरा किया जाना है। इसकी निगरानी उत्तराखंड पेयजल निगम, जल संस्थान और स्वजल परियोजना कर रही है। वर्ष 2010-11 में 261.54 करोड़ रुपये खर्च करके 1431 तोकों में पेयजल और स्वच्छता सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उत्तराखंड राज्य की यह ऐसी परियोजना है, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी पंचायतों को दी गई है। बजट का आवंटन भी सीधे पंचायतों को किया जाता है। उन्होंने जल निगम और जल संस्थान के अधिकारियों को निर्देश दिए कि परियोजना के सफल संचालन के लिए वे अपनी कार्य प्रणाली को और अधिक मजबूत करें। मुख्य सचिव के मुताबिक उत्तराखंड पहला राज्य है, जहां पर इस तरह की अभिनव पहल की गई है। बैठक में प्रमुख सचिव पेयजल उत्पल कुमार सिंह सहित जल निगम, जल संस्थान और स्वजल परियोजना के अधिकारी उपस्थित थे।