सुमित गुप्ता
सुलतानपुर। राजर्षि रणंजय सिंह जन कल्याण समिति के तत्वावधान में सांसद संजय सिंह और समिति की अध्यक्ष एवं अमेठी की विधायक रानी अमिता सिंह ने विभिन्न जातियों की गरीब और पिछड़े परिवारों की 111 बेटियों का कन्यादान किया। दहेज की विभीषिका, निर्धन माता-पिता की विपन्नता और विवशता को रानी अमिता सिंह ने बहुत गहरे तक महसूस किया और उनकी बेटियों के सुखद भविष्य के लिए सामूहिक विवाह का सूत्रपात किया। सामूहिक विवाह कार्यक्रम में संजय सिंह ने इन बेटियों के पिता का फर्ज निभाते हुए उनका कन्यादान किया और नव-दंपत्तियों को नया जीवन शुरू करने के लिए स्त्री धन के रूप में भेंट स्वरूप घरेलू जीवन की सभी आवश्यक वस्तुएं यथा बर्तन, डबल बेड, बिस्तर सेट, साइकिल, कपड़े, सिलाई मशीन, टेबिल फैन, चांदी के आभूषण, घड़ी आदि प्रदान किए। सामूहिक विवाह में वर-वधू पक्ष, अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, समाज के प्रत्येक वर्ग के बुद्धिजीवियों की महत्वपूर्ण भागीदारी रही।
दूल्हों से सजी बारात गाजे-बाजे एवं रंग बिरंगी आतिशबाजी के साथ जैसे ही एमजीएस इंटर कॉलेज के निकट पहुंची, संजय सिंह ने बारात की अगुवाई की और सभी दूल्हों को साथ लेकर एमजीएस इंटर कॉलेज के प्रांगण में प्रवेश किया। पीले जामे में, मोरपंख जड़ी सुनहरी पगड़ी में दूल्हों की टोली ने पहले से निर्धारित अपना-अपना स्थान ग्रहण किया। दूल्हों के साथ पहुंचे बारातियों का पूरे आतिथ्य भाव से पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया गया। रानी अमिता सिंह ने स्वयं अपनी देख-रेख में दुल्हनों को तैयार कराया। सुर्ख लाल रंग के जोड़े में सजी-संवरी, घूंघट की आड़ में, सकुचाई सी दुल्हनें अपने सपनों को हकीकत में बदलते देख रही थीं। इतने भव्य आयोजन में उनका विवाह उनके लिए एक ख्वाब जैसा था। सुल्तानपुर में इतने वृहद सामूहिक विवाह संस्कार के आयोजन को देखने के लिए भारी संख्या में लोग मौजूद थे।
रानी अमिता सिंह एवं संजय सिंह ने इन नवविवाहितों को पूर्ण आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास करने के अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया। उन्होंने नव-दंपत्तियों को निरंतर संपर्क के रहने के साथ-साथ अपने बच्चों को समुचित शिक्षा देने पर जोर दिया, जिससे वे पढ़-लिखकर अपने परिवार को बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकें। इस भव्य आयोजन के लिए रानी अमिता सिंह एवं उनके पति संजय सिंह की भारी प्रशंसा हो रही है। रानी अमिता सिंह ने विवाह में खरीददारी से लेकर विदाई तक बड़े ही संजीदा एवं भावनात्मक रूप से कार्यक्रमों को अंजाम दिया। संजय सिंह इस आयोजन के सूत्रधार एवं प्रणेता की भूमिका में रहे। उन्होंने राजनेताओं एवं सामाजिक संस्थाओं का आगे बढ़कर दहेज जैसी कुरीति को खत्म करने के लिए आंदोलन चलाने का आहवान किया।
सामूहिक विवाह की वर्ष 1998 से प्रारंभ हुई श्रृंखला में अब तक सैकड़ों गरीब कन्याओं का घर बसाया जा चुका है। इस 1 मई को हुए इस भव्य आयोजन में कोरी, वनमानुष, रैदास, सरोज, मौर्य, निषाद, कुर्मी, यादव, प्रजापति, नाई, कश्यप, अग्रहरि, जायसवाल, बहेलिया, चौहान, ब्राह्मण, क्षत्रिय, मुस्लिम सहित कुल 108 जोड़ों का पाणिग्रहण संस्कार एवं निकाह संपंन कराया गया। प्रत्येक जोड़े के लिए अलग से कतारबद्ध वेदियां बनाई गई थीं। समाज के हर वर्ग के लोग उल्लासपूर्ण वातावरण में कन्यादान की इस प्रक्रिया में अपना योगदान देने को आतुर दिखे। वर-वधू को सजाने में दर्जनों महिलाएं लगी रहीं, शिक्षकों की टीम, डॉक्टरों की टीम, सैकड़ों विद्यार्थी और नवयुवक इस अवसर पर तत्पर दिखे। आर्थिक रूप से कमज़ोर व्यक्तियों ने भी भेंट स्वरूप ग्यारह रूपये का निमंत्रण देकर इस कार्य में अपना योगदान देने का जज्बा दिखाया। सजावट, आतिशबाजी, रंगोली, वेदी आदि की व्यवस्था सुव्यवस्थित थी।
सांसद संजय सिंह के पिताश्री और अमेठी के राजा रहे राजर्षि रणंजय सिंह की स्मृति में इस समिति की स्थापना की गई है। राजर्षि रणंजय सिंह, स्वतंत्रता आंदोलन की महत्वपूर्ण कड़ी थे एवं उस समय अमेठी कई प्रमुख क्रांतिकारियों का केंद्र स्थल था। 'सादा जीवन उच्च विचार' में विश्वास रखने वाले राजर्षि सादगी एवं विनम्रता की प्रतिमूर्ति कहे जाते थे। उन्होंने आजीवन खादी धारण की और आर्य समाज आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े रहे। आर्य प्रतिनिधि सभा, उत्तर प्रदेश के प्रधान पद पर भी वे तीन बार पदस्थापित रहे। उन्होंने समाज सुधार, धर्म प्रचार एवं शिक्षा प्रसार करते हुए बलिप्रथा, मद्यपान, छुआछूत, बेमेल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने का सार्थक प्रयास किया। स्वतंत्रता के पूर्व वे सेंट्रल असेंबली से लेकर लोकसभा, विधान परिषद एवं विधानसभा के सदस्य रहे। पंडित मदन मोहन मालवीय उनके आदर्श एवं प्रेरणास्रोत थे। अमेठी जैसे अति पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र में प्राइमरी स्कूल से लेकर डिग्री कॉलेज की स्थापना करके उन्होंने निर्धन, साधनहीन एवं अभावग्रस्त जनता को शिक्षा का अवसर सुलभ कराया।