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नई दिल्ली। ‘झुग्गियां’ राज्यों का विषय है। अधिसूचित झुग्गियों के आंकड़े राज्य सरकारें रखती हैं, फिर भी राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) ने देश में झुग्गियों की स्थिति पर अपने 65वें दौर के नमूना सर्वेक्षण के आधार पर 'शहरी झुग्गी 2008-2009 के कुछ अभिलक्षण' नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण ने 2010 से 2011 तक के दस साल के सभी राज्यों में अधिसूचित और ग़ैर अधिसूचित झुग्गियों के राज्यवार आंकड़े जारी किए हैं। आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने झुग्गियों के आंकड़े/गणना और 2011 की झुग्गियों की गणना के संचालन से संबंधित मुद्दों के विविध पक्षों पर नज़र रखने के लिए एक समिति का गठन किया है। समिति ने 2011 में 75.26 मिलियन झुग्गियों की गणना का आकलन किया था।
समिति ने भारतीय जनगणना और राज्यों की झुग्गियों के लिए अपनाई गई परिभाषा से भिन्न परिभाषा का सुझाव दिया है। समिति ने झुग्गियों की एक मानक परिभाषा इस तरह परिभाषित की है- 'अधिकतर अस्थायी प्रकृति के ख़राब तरह से निर्मित आवासों के साथ कम से कम बीस परिवारों की एक छोटी सी बस्ती, जहां आमतौर पर संकुचित अस्वच्छ माहौल में सफाई व्यवस्था और पेयजल की अपर्याप्त स्थिति हो।' भारत के महापंजीयक के प्रायोगिक अध्ययन के आधार पर समिति ने 2011 की गणना में झुग्गी बस्तियों की पहचान और एक प्रगणना ब्लॉक में 20-25 परिवारों के क्षेत्र में जनसंख्या की गणना के लिए झुग्गियों की तरह के निम्नलिखित अभिलक्षणों को अपनाने का सुझाव दिया है-
प्रमुख छत सामग्री- कंक्रीट के अतिरिक्त कोई अन्य सामग्री(आरबीसी/ आरसीसी), पेयजल स्रोत की उपलब्धता- जनगणना गृह के परिसर के भीतर नहीं, शौचालय की उपलब्धता- जनगणना गृह के परिसर के भीतर नहीं, जलनिकासी सुविधा- कोई जलनिकासी नहीं अथवा खुली जलनिकासी। आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जनगणना अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने के लिए लिखा है, ताकि 2011 की जनगणना में झुग्गी बस्तियों और उसमें रहने वाली जनसंख्या की सही पहचान की जा सके।