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भारत-रूस भागीदारी आज भी महत्वपूर्ण !

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मास्को। योजना, संसदीय कार्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और भू विज्ञान राज्य मंत्री डॉ अश्विनी कुमार ने इस बात को रेखांकित किया है कि भारत-रूस सामरिक साझेदारी दोनों देशों के बीच 21वीं सदी की महत्वपूर्ण भागीदारियों में से एक होगी। भारत और रुसी संघ के बीच उच्च स्तरीय राजनैतिक वार्ता कार्यक्रम के अंग के रुप में डॉ अश्विनी कुमार विभिन्न राजनैतिक दलों के सात प्रतिष्ठित सांसदों के एक उच्च स्तरीय मैत्रीपूर्ण प्रतिनिधिमंडल का रूस में नेतृत्व कर रहे हैं। यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने ड्यूमा (निचली प्रतिनिधि सभा) के विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष कोंसतांतिन कोसाचेव और समिति के अन्य सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने संघ समिति (ऊपरी प्रतिनिधि सभा) के उपाध्यक्ष उमाखानोव औऱ संघ समिति के प्रतिनिधि समूह से भी मुलाक़ात की।

ड्यूमा के विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष के साथ हुई बैठक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सुरक्षा के मुद्दे पर बातचीत हुई। दोनों देश इस बात पर सहमत थे कि आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में कहीं पर भी हो, उससे साथ मिलकर लड़ना होगा और उसे मिटाना होगा। दोनों पक्षों ने इस बात की पुनः पुष्टि की कि दोनों देश आंतकवाद का सामना करने के लिए आपसी सहयोग को और अधिक मज़बूत करेंगे। रूसी नेतृत्व ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्यता के दावे के समर्थन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर की और जी-20, शंघाई सहयोग संगठन, ब्रिक्स और संयुक्त राष्ट्र सहित क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत को सक्रिय सहयोग का प्रस्ताव पेश किया।

संघ समिति के साथ हुई बैठक में अश्विनी कुमार और साथ गए प्रतिनिधिमंडल ने संसदीय प्रक्रियाओं के आदान-प्रदान को और बढ़ाने के तरीक़ों पर व्यापक चर्चाएं की, जिसकी पहचान दोनों देशों ने भारत-रूस सामरिक भागेदारी की महत्वपू्र्ण व्यवस्था के रुप में की।

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