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नई दिल्ली। कंपनी कानून के अनुच्छेद 295 के अंतर्गत पब्लिक लिमिटेड कंपनियों को ऋण देने के बारे में कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी किया है। मंत्रालय ने एक परिपत्र में कहा है कि उसके ध्यान में यह बात आई है कि कुछ कंपनियां जब किसी को ऋण देने का प्रस्ताव करती हैं या गारंटी देती हैं या किसी व्यक्ति द्वारा एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के कर्ज के संबंध में किसी तरह की सुरक्षा की गारंटी देती हैं तो वे केंद्र सरकार की पूर्व इजाजत लेने के लिए उस स्थिति में भी पहले से ही आवेदन कर रही हैं जब प्रस्ताव कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 295 (डी) और धारा 295 (ई) के अंतर्गत नहीं आता। इस कारण से कंपनियों से अनुरोध किया गया है कि वे ध्यान रखें कि जब ऋण/गारंटी/सुरक्षा का लाभ लेने वाली एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो और अगर कंपनी अधिनियम की उप-धारा (डी) या धारा 295 (ई) के प्रावधानों के अंतर्गत आवश्यकता हो तो केंद्र सरकार की केवल मंजूरी लेनी जरूरी है।