दिनेश शर्मा
मुरादाबाद (उप्र) | मानव किडनियों के कसाई के रूप में देखे जा रहे मुरादाबाद के डाक्टर अमित की कारगुजारियो को सुनकर रोंगटे खड़े होते हैं। मानवता के खिलाफ इस जघन्य अपराध को बड़े-बड़े राष्ट्राध्यक्षों, राजनेताओं, उद्योगपतियों और नौकरशाहों का समर्थन पता चलकर हर आदमी दहशत में है और यह मानकर चल रहा है कि डाक्टर अमित के दुख भरे दिन केवल जेल के सींखचों के बीच में रहने भर के हैं उसके जेल से बाहर आने के बाद उसका किडनी का व्यापार दिन दूना रात चौगुना फलने फूलने लगेगा क्योंकि किडनियों के लिए कुछ भी खर्च करने को तैयार करने वाले और उसके रहस्य को गुप्त रखने वाले लाखों सौदागर आज भी हैं जो शायद डाक्टर अमित के कानून के शिकंजे से बाहर आने की प्रतीक्षा कर रहे होंगे।
डा अमित ने नेपाली पुलिस के सामने तीन सौ किडनिया निकालकर उनको प्रत्यारोपित करने और निर्यात करने की बात स्वीकार की है। उसने इस कारोबार से करीब छह हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रकम कमाई है। डा अमित यह काम कब से कर रहा था इसका पता चलना उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना महत्वपूर्ण यह है कि जेल से आने के बाद और कितने निरीह लोग इसके फिर से शिकार बनेंगे। इसका अपराध ऐसा है, जिसको किसी न किसी जरूरतमंद का तन मन धन से समर्थन मिलेगा। अभी तक तो इसका धंधा कुछ ही लोगों को मालूम था अब इसकी सेवा ऑनलाइन हो जाएगी क्योंकि यह सबको पता चल गया है कि किडनी कहां मिलेगी। इसके ग्राहक कोई मामूली व्यक्ति नहीं है वह देश-विदेश में है और वही हैं जो मुंहमांगी रकम देकर एक की जान लेकर अपनी जान बचाने के लिए किडनी खरीदेंगे।
इस व्यापार में डाक्टर अमित का पता चलना एक मामूली बात है। अभी और कितने डा अमित देश भर में फैले हैं यह भी रहस्य बना रहेगा। क्योंकि इसका भंडाफोड़ करने वाले तो आम आदमी हैं लेकिन इसको संरक्षण देने वाले लोग बहुत ताकतवर हैं। इनमें अपराध की दुनिया में सक्रिय लोग भी हैं जिन्होंने डा अमित से उसके कारोबार को देखकर बड़ी फिरौती की रकम भी मांगी थी। इसके तार कहां से शुरू हुए और कहां तक जाकर खत्म होंगे शायद यमराज भी यह पता नहीं लगा पाएंगे।
किडनी एक ऐसा आंतरिक जीवनदान है जिसके बिना आदमी अपने जीवन को लंबा नहीं चला सकता। किडनी देने वाले भी राजघरानों या अभिजात्य वर्ग के लोग नहीं है। यह वही हैं जो पैसे के जरूरतमंद हैं या इस बात से अनजान हैं कि डाक्टर साहब ने उसका जो आपरेशन किया था वह क्या चोरी से उसकी किडनी निकालने के लिए भी था। यह पेशा किसी एक की जानकारी में नहीं चल सकता। इसमें एक से अधिक और वह भी योग्य शल्य चिकित्सकों की मौजूदगी और निर्देशन में हो सकता है। इससे पता चलता है कि डा अमित कोई अकेला नहीं है, उसके साथ उसके और भी कुछ शल्य चिकित्सक हैं जिनका राज डा अमित सीबीआई की पूछताछ में उगलेगा।
भारत में ही ऐसे ताकतवर लोग मिलेंगे जो निरीह लोगों को निकाली हुई किडनी अपने शरीर में लगाए घूम रहे हैं और वह डा अमित की हर प्रकार से पैरोकारी करने के लिए पहले से ही तैयार हैं। इनमें हर तबके के लोग हैं जिन्हें इस किडनी कसाई ने अपने डाक्टरी पेशे को कलंकित करके दूसरों का जीवन संकट में डालकर जीवनदान दिया है। डा अमित की पत्नी पूनम सात समुंदर पार टोरंटों में बैठकर अपने पति को पूरी तरह निर्दोष बता रही है। उसकी बात बिल्कुल सही है कि जब उससे किडनी मांगी जाएगी तो वह किडनी बेचने के अपने पेशे से अन्याय कैसे कर सकता है। वैसे भी आजकल नर्सिंग होम कैसे-कैसे कर्मो कुकर्मों के अड्डों के रूप में सामने आ रहे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है।
डा अमित का पूरा कारोबार मुरादाबाद से शुरू होता है और सात समुंदर पार तक फैला है। नेपाल पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद भारत की सीबीआई उसे प्रत्यर्पण करके काठमांडू से दिल्ली ले आई है और उससे पूछताछ करने में लग गई है। सीबीआई उसे भारत ले ही आई तो वह उससे यह तो पता कर सकती है कि किडनी उसने किन-किन को बेची है लेकिन किडनियों की बरामदगी एक टेढ़ी खीर होगी।
हमारी अदालतें कानून और जुर्म की पुष्टि के लिए सबूत के आधार पर फैसला करती हैं इसमें मुख्य अपराध चोरी का है जो कि किडनी चोरी से संबंधित है। यह सीबीआई को सिद्ध करना है कि चोरी गयी किडनी कहां है? लेकिन जब इस मुकदमे की सुनवाई शुरू होगी तो सीबीआई अदालत के सामने असहाय खड़ी होने के अलावा कोई दूसरा रास्ता शायद ही होगा क्योंकि डा अमित को कानून से तभी सजा मिल सकती है जब सीबीआई उसके कब्जे से चोरी से निकाली हुई किडनी बरामद कर उसे अदालत में सबूत के रूप में पेश करें।