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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2011-12 के लिए उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में पीने का पानी मुहैया कराने के लिए 200 करोड़ रूपये की अतिरिक्त सहायता राशि को मंजूरी दे दी गई। यह राशि बुंदेलखंड में सूखे से निपटने की रणनीति के लिए 19 नवंबर 2004 से मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित विशेष पैकेज में अन्य उपायों के अलावा होगी। इस धनराशि से बुंदेलखंड क्षेत्र में गर्मियों के दौरान पीने के पानी की समस्या पर काबू पाने में मदद मिलेगी। लोग यहां के जल संसाधनों को बेहतर बना सकेंगे। वर्षा के पानी के संचयन और नदी तंत्र के उचित प्रयोग के साथ-साथ फसलों के विविधिकरण में सहायता मिलेगी जिससे यहां अकसर पड़ने वाले सूखे का मुकाबला किया जा सकेगा।
पीने के पानी की योजना को लागू करने के लिए दो राज्य सरकारें 'नेशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी' को प्रस्ताव भेजेंगी। एनआरएए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से विचार-विमर्श करके अतिरिक्त केंद्रीय सहायता जारी करने की अनुशंसा करेगा। एनआरएए योजना को सही ढंग से लागू करवाने के लिए जगह का मुआयना करेगा। योजना आयोग के सदस्य बीके चतुर्वेदी की अध्यक्षता में पहले से ही गठित निगरानी समिति, पीने के पानी संबंधी योजना की प्रगति की निगरानी रखने के अलावा पैकेज की अन्य बातों का भी ध्यान रखेगी। इस समिति में सह अध्यक्ष योजना आयोग के सदस्य डॉ मिहिर शाह के अलावा दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों/विभागों एवं एनआरएए से शामिल किया गया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश की सरकारों और एनआरएए के अनुरोध पर सूखे से निपटने की रणनीतियों पर थोड़े परिवर्तन की भी अनुमति दे दी है। मध्यप्रदेश सरकार का प्रस्ताव था कि पहले अनुमोदित 'फार्म पौंड' और 'डगवैल' के रिचार्ज के स्थान पर 'वाटर लिफ्टिंग' और 'स्टाफ डैग' का निर्माण किया जाए। राज्य ने डेयरी क्षेत्र को अतिरिक्त मदद मुहैया कराने और सिंगपुर बैराज के निर्माण का प्रस्ताव दिया था। मंत्रिमंडल ने इसकी भी मंजूरी दे दी है।
वर्ष 2009-10 से 2011-12 तक तीन वर्षों के लिए 7266 करोड़ रूपये का एक विशेष पैकेज तैयार किया गया था जिसमें उत्तर प्रदेश को 3506 करोड़ रूपये और मध्यप्रदेश को 3706 करोड़ रूपये की हिस्सेदारी दी गई थी। योजना आयोग ने भी गत दो वित्त वर्षों में 2114 करोड़ रूपये की धनराशि इस क्षेत्र के लिए मंजूर की। इसमें से 1800 करोड़ रूपये राज्य सरकारों से जारी किए जा चुके हैं। पहले के मंजूर सूखा पैकेज से पीने के पानी की असाधारण समस्या से खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में निजात नहीं पाया जा सका था।