स्वतंत्र आवाज़
word map

सोशल नेटवर्किंग साइटों का दुरूपयोग-निशंक

उत्तराखंड के थानों में साइबर सेल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

साइबर मीट-cyber meet

देहरादून। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शनिवार को साइबर अपीलीय प्राधिकरण के साइबर सम्मेलन में साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए प्रदेश के सभी थानों में साइबर सेल के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जनपद स्तर और प्रदेश स्तर पर भी साइबर सेल का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड और साइबर अपीलीय प्राधिकरण के मध्य वीडियो कांफ्रेसिंग सिस्टम का भी उद्घाटन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आम व्यक्ति को इंटरनेट और साइबर की दुनिया के बारे में जागरूक करते हुए उसके अधिकार एवं दायित्वों का बोध कराना आवश्यक है। सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट को और मजबूत बनाने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि अधिकांश साइबर अपराध जमानती किस्म के हैं, जिसका एक नुकसान यह भी हो सकता है कि अपराधी छूटने के उपरांत सबूतों से छेड़-छाड़ कर उन्हें समाप्त कर सकता है। कई प्रकार के साइबर अपराध अपनी प्रकृति के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हो जाते हैं, जिसके लिए सरल एवं प्रभावी नियम कानून होने चाहिएं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लोग फेसबुक, ऑरकुट जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उपलब्ध जानकारियों का दुरुपयोग कर रहे हैं उससे मजबूत साइबर कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

विधानसभा अध्यक्ष हरबंश कपूर ने इस मौके पर कहा कि साइबर अपराधों से संबंधित विषय गंभीर एवं विस्तृत है। नया विषय होने के कारण इसमें अनेक चुनौतियां भी हैं परंतु आशा है कि सभी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया जा सकेगा। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीएस सिरपुरकर ने कहा कि प्रारंभिक रूप में साइबर नियम कानून, विशेष रूप से इंटरनेट एवं कंप्यूटरों के माध्यम से किये जाने वाले व्यापार एवं वाणिज्य को नियंत्रित करने उद्देश्य से लाए गये थे, वर्तमान युग में मोबाइल और इंटरनेट घर-घर में पहुंच गये हैं और बहुत कम उम्र से ही बच्चे एक बेहद विशाल और विभिन्न प्रकार की सूचनाओं से भरी हुई दुनिया के सम्मुख आ गये हैं। उन्होंने कहा कि साइबर कानूनों एवं अन्य प्रक्रियाओं की सही जानकारी पहुंचाने के लिए इसे शिक्षा से जोड़ना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि वैज्ञानिक, शिक्षक, सरकार और कानूनविद् एक मंच पर बैठकर इस दिशा में सकारात्मक पहल करें। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को साइबर कानूनों को लागू करने वाली एजेंसी के सुदृढ़ीकरण में थोड़ी आर्थिक उदारता भी दिखानी होगी।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में साइबर अपीलीय प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम सहित साइबर कानूनों एवं साइबर अपराधों पर विस्तृत प्रकाश डाला। सम्मेलन में देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों से आये न्यायाधीशों ने साइबर कानूनों के क्रियान्वयन में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों एवं अन्य सैद्धांतिक पक्षों पर प्रकाश डाला। सम्मेलन में अधिकार क्षेत्र की सीमितता, जनजागरूकता के साथ ही इस बात पर भी विचार किया गया कि इंटरनेट और साइबर से जुड़ी गतिविधियों पर किस प्रकार का और किस मात्रा में नियंत्रण रखा जाए। साइबर कानून लागू करने वाली एजेंसियों के उपयुक्त प्रशिक्षण पर भी विचार विमर्श किया गया।

समारोह में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक सिंह, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल कुमार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप कांत और यतींद्र सिंह, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि, साइबर कानून विशेषज्ञ कर्णिका सेठ, वरिष्ठ अधिवक्ता कार्तिकेय गुप्ता सहित बड़ी संख्या में कानूनविद्, साइबर विशेषज्ञ, विद्यार्थी एवं अतिथि उपस्थित थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]