स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिए आयकर विभाग को लगभग 5.33 लाख करोड़ रूपये के कर संग्रह का लक्ष्य दिया गया है। यह राशि पिछले वर्ष 2010-11 के वास्तविक संग्रह से 20 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि 13वें वित्त आयोग (2010-15) ने 2014-15 तक प्रत्यक्ष कर राजस्व संग्रह की अनुमानित राशि 8.3 लाख करोड़ रूपये और प्रत्यक्ष कर एकल घरेलू उत्पाद का अनुमान 7.62 प्रतिशत रखा है। वर्तमान में प्रत्यक्ष कर सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात 5.66 प्रतिशत है। ये लक्ष्य काफी ऊंचे और चुनौतीपूर्ण हैं।
मुखर्जी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक स्थिति बहुत अनुकूल नहीं है और काफी अनिश्चित है, वैश्विक सुधार भी काफी धीमे हैं, इसके अलावा ऊर्जा और खास तौर पर जीवाश्म ईंधन की अंतर्राष्ट्रीय उत्पाद कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव है, जिससे मुद्रास्फीति की दर बढ़ गई है। सकल घरेलू उत्पाद विकास और विश्व बाजार में तरलता की स्थिति पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इस स्थिति में वित्तमंत्री ने कहा कि वर्तमान वर्ष के लिए अपने कर संग्रह लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए और कर अनुपालन पद्धति को कड़ाई से लागू करने के लिए आयकर विभाग के अधिकारियों को कड़ी मेहनत करनी होगी।
प्रणव मुखर्जी विज्ञान भवन में आयकर विभाग के मुख्य आयुक्तों महानिदेशकों के 27वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। दो दिवसीय सम्मेलन में वित्त राज्यमंत्री एसएस पलानीमनिक्कम, वित्तराज्य मंत्री नमोनारायण मीणा, वित्त सचिव सुषमा नाथ, राजस्व सचिव सुनील मित्र, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अन्य सदस्यों एवं वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। मुखर्जी ने वित्तीय वर्ष 2010-11 के लिए 4.46 लाख करोड़ रूपये के बजट आकलन के अनुरूप संशोधित कर संग्रह प्राप्त करने में उनके प्रयासों के लिए आयकर विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक अभी संसदीय स्थायी समिति की जांच के अंतर्गत है और यह 1 अप्रैल 2012 से प्रभावी होगा, इसलिए आयकर विभाग को आयकर अधिनियम 1961 से बदलकर प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक पद्धति में प्रवेश के लिए तैयार रहना चाहिए।