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नई दिल्ली। भारत और अमरीका के बीच आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर शुक्रवार को यहां बातचीत हुई। इस अवसर पर केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि हमने कुछ समय पहले बहुत अच्छे माहौल में विचार-विमर्श किया और कहा कि मुझे भारत और अमरीका के बीच आंतरिक सुरक्षा वार्ता के शुभारंभ का सम्मान मिला है। यह भारत और अमरीका के संबंधों में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और दोनों देशों के बीच बढ़ती रणनीतिक भागीदारी की दिशा में इस वार्ता से एक बहुत महत्वपूर्ण आयाम जुड़ गया है।
गृहमंत्री ने कहा कि नवंबर 2010 में राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के मुख्य रणनीतिक निष्कर्षों के सिलसिले में यह वार्ता हुई है। उस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर वार्ता शुरू करने की घोषणा की थी। मैं उस संयुक्त बयान को उद्धृत करता हूं –'जुलाई 2010 में हस्ताक्षरित आतंकवाद रोधी पहल के तहत दोनों नेताओं ने गृह मंत्रालय और अमरीकी होमलैंड सुरक्षा विभाग के बीच आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर नई वार्ता शुरू करने की घोषणा की है तथा ऑपरेशनल सहयोग, आतंकवाद रोधी प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और क्षमता निर्माण को और सुदृढ़ बनाने पर सहमत हुए। दोनों नेताओं ने आतंकवादियों को मिल रही वित्तीय सहायता से निपटने और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को सुरक्षित बनाने में करीबी सहयोग के महत्व पर भी बल दिया।'
उन्होंने कहा कि नए और उभरते खतरों सहित जटिल चुनौतियों की इस दुनियां में आतंकवाद हमारे दोनों देशों के लिए प्रमुख चुनौती रही है। पिछले कुछ दिनों की घटनाएं, खासतौर से पाकिस्तान के आंतरिक घटनाक्रम के संबंध में अनेक जोखिमों और चुनौतियों का उल्लेख किया गया है। आतंकवादी ताकतों के विरुद्ध असाधारण प्रयासों और महत्वपूर्ण सफलताओं के बावजूद यह ख़तरा अब भी बरकरार है। हमारे दोनों देशों और वैश्विक समुदाय को भी जाली मुद्रा, नशीली दवाओं के व्यापार, साइबर से जुड़े खतरों और जोखिमों इत्यादि सहित अन्य चुनौतियों से भी निपटना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह कहना बिल्कुल उचित है कि भारत संभवतया दुनिया में सबसे अधिक मुश्किल पड़ोस में रह रहा है। वैश्विक आतंकवाद का केन्द्र हमारे बिल्कुल पश्चिमी देश में है। पाकिस्तान में आतंकवाद का बुनियादी ढांचा लम्बे समय से राष्ट्रीय नीति के हथियार के रूप में फल-फूल रहा है। आज पाकिस्तान में विभिन्न आतंकवादी समूह सुरक्षित पनाह लिए हुए हैं और उनकी संख्या बढ़ती जा रही है, पाकिस्तान समाज और भी कट्टर बन गया है, उसकी अर्थव्यवस्था कमजोर हो चुकी है तथा पाकिस्तान में राष्ट्रीय ढांचा चरमरा गया है। आज पाकिस्तान खुद भी उन्हीं ताकतों के बड़े खतरे का सामना कर रहा है। उसकी जनता के साथ-साथ राष्ट्रीय संस्थाओं पर भी हमले हो रहे हैं।
गृहमंत्री ने कहा कि हमारी पश्चिमी सीमा के जरिए न सिर्फ आतंकवादी घुसपैठ होती है अथवा जाली मुद्रा भेजी जाती है, बल्कि यह सब उन देशों के जरिए भी किया जा रहा है, जिनके साथ हमारी खुली सीमाएं हैं। हमें सीमापार से बड़ी मात्रा में विस्थापितों की चुनौती से भी निपटना है। कुछ उग्रवादी समूह कभी हमारे पड़ोसी देशों में शरणार्थी बन चुके थे। हमारे पड़ोसी देशों में आंतरिक अस्थिरता का प्रभाव हमारे सीमावर्ती राज्यों की आबादी पर सीधे तौर पर पड़ा है। हमारे क्षेत्र की जटिलता के मद्देनजर हमारी सरकार ने पड़ोसियों से संबंधित व्यापक रणनीति तैयार की है, जो राजनीतिक सम्बद्धता पर आधारित है, यह खासतौर से पाकिस्तान के साथ राजनीतिक स्थिरता के लिए सहायता, आर्थिक विकास के लिए मदद और भारतीय अर्थव्यवस्था तक अपने पड़ोसियों के लिए सम्पर्कता और बाजार पहुंच में सुधार पर आधारित है। भारत की जनता की सुरक्षा के लिए स्थिर, शांतिपूर्ण और समृद्ध पड़ोस बहुत महत्वपूर्ण है।
चिदंबरम ने कहा कि भारत-अमरीका संबंधों के मुख्य तत्वों में से एक आतंकवाद के मुद्दे और आतंकवादी रोधी सहयोग के बारे में हमारे संबंध हैं। आतंकवाद की चुनौती से निपटना भारत की जनता के लिए प्राथमिकता है। भारत और अमरीका के बीच आतंकवाद से निपटने के बारे में सहयोग के संबंध में जनता और राजनीतिक समुदाय को हमेशा बहुत अपेक्षा रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे साझा मूल्य हैं, दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग बढ़ रहा है, अमरीकी विशेषज्ञता और क्षमता तथा भारत में यह मान्यता है कि अमरीका का अनुभव उस देश को बहुत प्रभावित करता है, जो वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है। आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने में भारत और अमरीका के बीच सुदृढ़ और प्रभावी सहयोग हमारी रणनीतिक साझेदारी के लिए अपरिहार्य है।
उन्होंने कहा कि भारत और अमरीका ने फरवरी 2000 में आतंकवाद से निपटने के बारे में संयुक्त कार्य समूह स्थापित किया है, अभी हाल ही में इसकी नौवीं बैठक हुई थी। हमारे दोनों देशों ने जुलाई 2010 में आतंकवाद से निपटने के बारे में सहयोग की पहल पर हस्ताक्षर किए हैं। विमानन सुरक्षा पर कार्य समूह, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर कार्य समूह और रक्षा नीति समूह जैसे अन्य संस्थागत तंत्र भी हैं, जो हमारे सहयोग को नए रास्ते उपलब्ध कराते हैं। एफएटीएफ की भारत की सदस्यता से भी आतंकवाद के वित्तीय पहलू पर एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करने की हमारी क्षमता सुदृढ़ हुई है। मुझे सितंबर 2009 में अमरीका की अपनी यात्रा याद है, जिसने मुझे उन क्षेत्रों की पहचान उपलब्ध कराने का अवसर उपलब्ध कराया, जहां हम एक-दूसरे के साथ कार्य कर सकते हैं और एक- दूसरे से सीख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से मुंबई आतंकी हमलों के दौरान और उसके बाद अमरीकी राजनीतिक समर्थन और ऑपरेशनल सहयोग भारत की जनता के लिए बहुत सार्थक रहा है। हम मुंबई आतंकी हमले के दोषियों और उनसे संबंधित लोगों को न्याय के कठघरे में लाने के अमरीकी प्रयासों की सराहना करते हैं। हमें शिकागो में तहव्वुर राणा के मुकदमे की जानकारी भी दी गई है। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ओबामा ने नवम्बर 2008 की बैठक के दौरान पाकिस्तान से कहा कि वह नवम्बर 2008 के मुम्बई आतंकी हमलों के दोषियों को न्याय के कठघरे में लाए। हमारे सहयोग में चुनौतियों के वे सभी पहलू शामिल होने चाहिए, जिनका हम सामना करते हैं—खतरों का अंदाजा लगाना और आशंका प्रकट करना, निवारक उपाय करना अथवा ऐतिहासिक कदम उठाना, या घटनाओं के प्रति प्रभावी और तुरन्त प्रतिक्रिया करना। इसलिए हमें खुफिया सूचनाओं, जानकारी और आंकलन साझा करना, जांच और फौरेंसिक में सहयोग, शहरों, बुनियादी ढांचे और जनता एवं व्यापार की सुरक्षा करना तथा किसी विध्वंसक घटना को रोकने की क्षमताएं विकसित करने के लिए अपने सहयोग को और सुदृढ़ बनाना चाहिए।
चिदंबरम ने कहा कि मैं आंतरिक सुरक्षा के लिए समुचित प्रौद्योगिकियों, उपकरण और प्रणालियों को विकसित करने और साझा करने के महत्व पर भी बल देना चाहता हूं। मैं मानता हूं कि इसके लिए व्यापक रूप से निजी क्षेत्र से अर्जित किया जाएगा, लेकिन सरकारों के रूप में हमें सूचना, अनुभव और प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों के आंकलन, प्राइज़ जरूरतों, रुझानों और अंतर की पहचान करने तथा आतंकवाद रोधी प्रौद्योगिकी एवं आंतरिक सुरक्षा उपकरणों का एक- दूसरे को हस्तान्तरण करने संबंधी लाइसेंस और अन्य शर्तों से निपटने के रणनीतिक विचार-विमर्श जारी रखना चाहिए, जो दोनों देशों के बीच रणनीतिक भागीदारी की मूल भावना के अनुरूप हो। हमें सरकारी-निजी क्षेत्र के बीच परस्पर सहयोग का तंत्र भी तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि मैं यह प्रस्ताव करना चाहूंगा कि आंतरिक सुरक्षा के लिए हमारे गृह सचिव और उप सचिव इस संबंध में हुई प्रगति की समीक्षा के लिए छह महीने के बाद बैठक करें।
चिदंबरम ने अपनी बात समाप्त करने से पहले भारत में अमरीकी राजदूत रोमर को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने अमरीका के समक्ष सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए कांग्रेस सहित सार्वजनिक जीवन में उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने भारत-अमरीकी संबंधों को बढ़ावा देने और खासतौर से आतंकवाद से निपटने में सहयोग को प्रोत्साहन देने के लिए पिछले दो वर्षों के दौरान अथक प्रयास किए हैं। आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग की पहल एक दीर्घकालिक महत्वपूर्ण योगदान है। आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर भारत में अमरीकी राजदूत के रूप में द्विपक्षीय वार्ता शुरू करना उनका अंतिम और महत्वपूर्ण प्रयास है। चिदंबरम ने अपने सहयोगियों और खासतौर से गृह सचिव जीके पिल्लै और अमरीका में भारत की राजदूत मीरा शंकर को भी इस वार्ता और व्यापक रूप से हमारे बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उनके असाधारण प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।