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भारत में जर्मनी के साथ सांझा मेटा विश्‍वविद्यालय

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नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्‍‍बल ने जर्मनी की अपनी समकक्ष शिक्षा और अनुसंधान मंत्री डॉ अनेटे शावान के साथ दोनों देशों के एक से अधिक विश्‍वविद्यालयों के सांझा रूप से स्‍नातक स्‍तर के पाठ्यक्रम चलाये जाने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर जर्मनी की अपनी समकक्ष मंत्री और उनके साथ आए प्रतिनिधि मंडल को संबोधित करते हुए सिब्‍बल ने कहा कि दोनों में इस प्रकार के मेटा विश्‍वविद्यालय की व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से उच्‍च शिक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग एक स्‍वागत योग्‍य पहल है। मेटा विश्‍वविद्यालय एक विशेष प्रकार का सहयोग है, जहां विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों या संस्‍थाओं के साझाहित होते हैं। इस प्रकार के सहयोग में विभिन्‍न गुणों, दृष्टिकोणों, प्राथमिकताओं और काम करने की विधियों संबंधी एक-दूसरे के ज्ञान के आधार पर परस्‍पर सहयोग किया जाता है।

उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों में उच्‍च शिक्षा और कुशलता विकास के क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं और दोनों देशों की शैक्षिक संस्‍थाओं की डिग्रियों और डिप्‍लोमा को सांझा रूप से मान्‍यता दिए जाने से छात्रों के आने-जाने में बड़ी सहायता मिलेगी। सिब्‍बल ने यह प्रस्‍ताव भी दिया कि भारत की ओर से नवंबर/दिसम्‍बर 2011 में भारत-जर्मनी उच्‍च शिक्षा पर उच्‍च स्‍तरीय बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसकी संयुक्‍त अध्‍यक्षता दोनों देशों के मंत्री करेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के शिक्षाविद और वरिष्‍ठ सरकारी अधिकारी भाग लेंगे।

विचार-विमर्श में उच्‍च शिक्षा विभाग की सचिव कुमारी विभापुरी, श्रम मंत्रालय में सचिव प्रभात चतुर्वेदी, डीएआई के सचिव डॉ टी रामासामी, अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग विभाग के सचिव अमित खरे, आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर टिमोथी गोंसल्‍वेज, आईआईटी मंडी के डीन प्रोफेसर दीपक खेमानी, डॉ के अनंथा पदम्‍नाभन और हैदराबाद विश्‍वविद्यालय के स्‍कूल ऑफ इंजीनियरिंग साइसेंस एंड टेक्‍नोलॉजी के डीन डॉ के भानू संकरा राव, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और श्रम मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

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