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कंपनी अधि‍नि‍यम और ज्यादा सख़्त हुआ

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नई दिल्ली। कार्पोरेट शासन और कंपनी अधि‍नि‍यम 1956 के प्रावधानों का अनुपालन सुनि‍श्‍चि‍त करने के लि‍ए कार्पोरेट कार्य मंत्रालय ने नि‍र्णय लि‍या है कि‍ तीन जुलाई 2011 से सभी कंपनि‍यों को अपनी बैलेंस शीट और हानि‍ लेखा एवं वार्षि‍क कर भुगतान का अद्यतन ब्‍योरा कि‍सी भी प्रकार की सूचना, परि‍वर्तनों को दर्ज कराने के पूर्व कंपनी पंजीयक के सामने प्रस्‍तुत करना होगा। इस संबंध में मौखि‍क या लि‍खि‍त या ई फार्म के जरि‍ए कि‍सी भी प्रकार की प्रार्थना स्‍वीकार नहीं की जाएगी।

इसके अलावा यह भी नि‍र्णय लि‍या गया है कि‍ अगर बकाएदार कंपनी के महानि‍देशक कि‍सी अन्‍य कंपनी के बारे में भी ई फार्म के जरि‍ए कंपनी पंजीयक को कोई उपरोक्‍त सूचना देते हैं तो उसे भी अस्‍वीकृत कि‍या जाएगा। बकायादार कंपनि‍यों के कंपनी सेक्रेटरि‍यों और लेखाकारों को भी एमसीए 21 प्रणाली के अंतर्गत उपरोक्‍त वि‍वरण देने का अधि‍कार तब तक नहीं होगा जब तक खामि‍यों को दूर नहीं कर दि‍या जाता।

आईसीएआई, आईसीएसआई और आईसीडब्‍लूएआई के सदस्‍यों को बकाएदार कंपनि‍यों के साथ उपरोक्‍त ई फार्म भरने के लि‍ए कि‍सी भी प्रकार का प्रमाणपत्र देने का अधि‍कार नहीं होगा। बकाएदार कंपनि‍यों और उनके नि‍देशकों/अधि‍कारि‍यों के वि‍रुद्ध आरबीआई और सेबी के समन्‍वय से कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश उन कंपनि‍यों पर लागू नहीं होगा जि‍न कंपनि‍यों को अदालत, कंपनी वि‍धि‍ बोर्ड या अन्‍य सक्षम अधि‍कारी ने प्रबंधन वि‍वाद के लि‍ए चि‍न्‍हि‍त कि‍या हो। ऐसी कंपनि‍यों को बैलेंस शीट और वार्षि‍क कर भुगतान का ब्‍योरा प्रस्‍तुत करने से छूट होगी।

याद रहे कि‍ कंपनी अधि‍नि‍यम 1956 की धारा 610 के अंतर्गत कोई भी व्‍यक्‍ति‍ कंपनी पंजीयक के कार्यालय में रखे सभी दस्‍तावेजों का नि‍रीक्षण करने का अधि‍कार रखता है। कि‍सी भी कंपनी का बैलेंस शीट, हानि‍ खाता और वार्षि‍क कर भुगतान का ब्‍योरा बुनि‍यादी दस्‍तावेज होते हैं और कंपनि‍यों को इन्‍हें हर वर्ष कंपनी अधि‍नि‍यम 1956 की धारा 220 और 159 के तहत कंपनी पंजीयक के कार्यालय में दायर करना पड़ता है।

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