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लखनऊ। नेशनल पीजी कॉलेज में एक समारोह में कांशीराम उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) नई दिल्ली के बीच सहमति पत्र (एमओयू) का आदान-प्रदान किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के पंचायती राज मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनीस अहमद खॉ विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इग्नू की प्रति कुलपति परवीन सिंक्लेयर, निदेशक नियोजन इग्नू एके ओझा, कार्यक्रम समन्वयक उर्दू इग्नू नसीर अहम खॉ, कुल सचिव प्रशासन इग्नू यूएस टोलिया, कुलपति डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रोफेसर बलराज चौहान, कुलपति इंटिग्रल यूनिवर्सिटी प्रोफेसर वसीम अख्तर, प्रमुख बुद्धिजीवी, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। कुल सचिव कांशीरामजी उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय वीके गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया।
इससे पूर्व कांशीराम उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति अनीस अंसारी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) की प्रति कुलपति परवीन सेंक्लेयर की बैठक हुई। बैठक में दोनों विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया। पारस्परिक सहयोग के लिये सहमति पत्र एक अप्रैल 2011 से लागू माना जाएगा। इग्नू में वर्तमान में लगभग 35 लाख छात्र नामांकित हैं और यह विश्व का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है जहां मुक्त विश्वविद्यालय और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से 300 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित हैं। उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय की स्थापना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उर्दू, अरबी एवं फारसी भाषाओं को बढ़ावा देने और भाषायी अल्पसंख्यकों को उच्च शिक्षा और आवश्यकता-आधारित शिक्षा देकर उन्हें रोज़गार के योग्य बनाने के लिए अक्टूबर-2009 में स्थापना की गई थी।
दोनों विश्वविद्यालय ऐसी संयुक्त डिग्रियां, डिप्लोमा एवं सर्टीफिकेट कार्यक्रम आरंभ करने पर सहमत हुए हैं, जिनमें व्यवसायिक और अन्य महत्वपूर्ण विषयों के अध्ययन के साथ-साथ उर्दू, अरबी और फारसी को बढ़ावा देने के लिए उनके अध्ययन को अनिवार्य किए जाने पर विशेष बल दिया जाएगा। इसके अंतर्गत व्यवसायिक और अन्य पाठ्यक्रमों के उर्दू माध्यम से दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था होगी। दोनों विश्वविद्यालयों के अनुभव, विशिष्टता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए एमओयू में सहयोग, संसाधनों के आदान-प्रदान और सहभागिता को पूरा महत्व दिया गया है। इससे उपयुक्त प्रौद्योगिकी के चुनाव सहित सूचना एवं परामर्शी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए दूरस्थ शिक्षा एवं संस्थागत क्षमताओं के विकास में बड़ी मदद मिलेगी।
दोनों विश्वविद्यालय कार्मिकों को तकनीकी और प्रबंधकीय प्रशिक्षण देंगे और इसमें एक दूसरे की मदद भी करेंगे। उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय अपने परिसर में इग्नू का एक अध्ययन केंद्र खोलेंगे। दोनों विश्वविद्यालय एक दूसरे के केंद्रों को उपयोग में ला सकेंगे। इग्नू उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय को अपने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सेंटरों में उपलब्ध सेवाओं और ज्ञान दर्शन एवं ज्ञानवाणी चैनलों/बैंडों के उपयोग की अनुमति देगा। शिक्षकों के संयुक्त प्रशिक्षण और दूरस्थ शिक्षण/प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने में भी मदद मिलेगी। इस प्रक्रिया के कार्यान्वयन के मूल्यांकन के लिए एक समिति गठित की गई है। कुलपति इग्नू इस समिति के अध्यक्ष और कुलपति उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय इस समिति के सह-अध्यक्ष होंगे। दोनों विश्वविद्यालयों के दो-दो प्रतिनिधि समिति के सदस्य होंगे। यह एमओयू मूलतः पांच वर्ष तक लागू रहेगा। इसे आपसी सहमति से आगे भी बढ़ाया जा सकेगा।