स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को अवैध लिंग चयन, निर्धारण और लिंग चयनात्मक गर्भपात की प्रवृत्ति का संज्ञान लेते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चिकित्सकों के प्रशिक्षण और अनुभव के दिशा-निर्देशों को तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए। इसके साथ परिषद (एमसीआई) को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पीसी और पीएनडीटी अधिनियम की धाराओं के उल्लघंन करने वाले चिकित्सकों का पंजीकरण अधिनियम की धाराओं के अनुरूप निलंबित या निरस्त कर दिया जाए।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने गर्भाधान पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम 1994 के नवगठित केंद्रीय पर्यवेक्षक बोर्ड (सीएसबी) की पहली बैठक के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता कि बालिकाओं के प्रति सोच में विश्वस्तर पर बदलाव लाया जाना चाहिए। बैठक के बाद सीएसबी के सदस्यों ने सिफारिश की कि राष्ट्रीय जांच तथा निगरानी समिति और राज्य निगरानी और जांच समितियों को ऐसी अनियमितताओं पर जिला उपयुक्त प्राधिकरण की अनुवर्ती कार्यवाही पर नजर रखने के लिए अधिकृत किया जाए और अगर जांच के दौरान अनियमितता पायी जाए तो इस अधिनियम की धारा 28(बी) के अनुसार उचित कार्यवाही करने का अधिकार भी इन समितियों को दिया जाए।