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भारत को राणा प्रकरण में भारी निराशा

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नई दिल्ली। भारत सरकार ने मुंबई आतंकी हमलों में सामान उपलब्ध कराने की साजिश के मुकद्दमे में अमरीका की एक अदालत में तहव्वुर हुसैन राणा को बरी किये जाने पर नाराजगी व्यक्त की है। उल्लेखनीय है कि अमरीका की एक अदालत ने राणा को तीन में से जिन दो मामलों में दोषी पाया गया है वे हैं-डेनमार्क में आतंकवाद की एक साजिश के लिए साज-सामान की सहायता उपलब्ध कराना और लश्कर-ए-तैयेबा को सामान मुहैया कराना, लेकिन उपरोक्त अदालत ने राणा को मुंबई आतंकी हमलों के लिए सामान उपलब्ध कराने के आरोप से बरी कर दिया है। सरकार ने अमरीकी अदालत के इस फैसले का गंभीर नोटिस लिया है।

अमरीकी अदालत को इस बात के साक्ष्य दिए गए थे कि डेविड हेडली ने राणा को सलाह दी थी कि भारत में महत्वपूर्ण निशानों का पता लगाया जाए और यह कि हेडली ने अपनी करतूतों को छिपाए रखने के उद्देश्य से फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज का कार्यालय खोलने के लिए राणा की मंजूरी हासिल की थी और यह भी कि हेडली और राणा ने इस बात की समीक्षा की थी कि हेडली ने किस तरह उन लक्ष्यों पर निगाह रखी थी, जिन्हें मुंबई आतंकी हमलों में निशाना बनाया गया था। इसके अलावा यह सबूत भी पेश किये गये थे कि राणा ने हेडली से कहा था कि मुंबई आतंकी हमलों में शामिल आतंकियों को मरणोपरांत, पाकिस्तान के शीर्ष सैनिक सम्मान से नवाजा जाए। भारत सरकार ने कहा है कि उसे मुंबई आतंकी हमलों में साज-सामान उपलब्ध कराने के मामले में राणा को अमरीकी की अदालत द्वारा बरी किए जाने से घोर निराशा हुई है।

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