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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल के दिल्ली रवाना होने से पूर्व उन्हें उत्तराखंड की परिस्थितियों और समस्याओं से भी अवगत कराया और उन्हें 16 बिंदु का प्रत्यावेदन दिया। मुख्यमंत्री ने प्रत्यावेदन में राज्य के हित से जुड़े मुद्दों पर केंद्र सरकार से सहयोग दिलाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए उत्तराखंड को केंद्र से विशेष सहयोग की आवश्यकता है। औद्योगिक पैकेज की अवधि समाप्त करने और विगत वर्ष आई दैवीय आपदा से राज्य का विकास प्रभावित हुआ है, आम आदमी को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
निशंक ने कहा कि उत्तराखंड को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने विशेष औद्योगिक पैकेज दिया था, जिसकी अवधि 2013 थी, जिसे 2010 में ही समाप्त कर दिया गया है। राज्य में औद्योगिक और निवेश का वातावरण कायम रखने के लिए विशेष औद्योगिक सहायता पैकेज को पुनर्जीवित कर वर्ष 2020 तक बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सभी केंद्र पोषित योजनाओं का वित्त पोषण पूर्वोत्तर सीमांत के राज्यों की भांति ही 90:10 के अनुपात में किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को 2001-02 में विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा दिया गया था, परंतु वित्त पोषण के मामले में इस राज्य की भारी उपेक्षा की जाती है, जिसके परिमार्जन के लिए 2001-02 से 2010-11 तक की अवधि की अवशेष धनराशि 2400 करोड़ रुपए एकमुश्त विशेष पैकेज के रुप में स्वीकृत होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को अवगत कराया कि उत्तराखंड पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण को बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इसको देखते हुए हमने केंद्र सरकार से ग्रीन बोनस के रूप में राज्य को 1 हजार करोड़ रुपये मिलने चाहिएं। वन संरक्षण अधिनियम एवं पर्यावरण संरक्षण से संबंधित विभिन्न नियमों का बोझ केवल इसी राज्य की जनता पर अनावश्यक रूप से डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रदेश की नदियों में चुगान पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे प्रदेश की नदियों से समय पर चुगान नही हो पाया और नदियों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, साथ ही निर्माण सामग्री की कीमतों में भी वृद्धि हो गई है।
उन्होंने राष्ट्रपति को बताया कि उत्तराखंड की चीन एवं नेपाल से क्रमशः 350 किलोमीटर एवं 275 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं खुली हैं। इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र से राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों के समेकित विकास के लिए बार्डर एरिया डेवलपमेंट प्लान के अंतर्गत राज्य के सभी 26 सीमांत विकासखंडों के विकास के लिए और उन्हें सड़क, विद्युत, दूरसंचार सुविधाओं से जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए यह योजना लागू की जानी चाहिए। प्रत्यावेदन में 16 बिंदुओं का उल्लेख किया गया है, जिनमेंरोकी गई विद्युत परियोजनाओं से हुई हानि की प्रतिपूर्ति, गढ़वाल विश्वविद्यालय के केंद्रीयकरण के पश्चात असंबद्ध महाविद्यालयों की संचालन व्यवस्था और हिमालयी राज्यों के विकास हेतु अलग से अधिकार संपंन विकास प्राधिकरण का गठन इत्यादि का विस्तार से उल्लेख है।