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नई दिल्ली। राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव प्रतिष्ठान ने स्वयंसेवकों का नेटवर्क बनाने के लिए शांति और सौहार्द के लिए स्वयंसेवक (वी फॉर पीस-एन-हारमनी) कार्यक्रम शुरू किया है। नेटवर्क स्थापित करने की प्रेरणा मुख्य रूप से गांधीवादी अवधारणा से प्राप्त हुई है, जिसने शांति और सौहार्द का वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वी फॉर पीस-एन-हारमनी की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाए जा रहे स्वयंसेवकों के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष आईवाईडब्ल्यू की 10वीं जयंती के अवसर पर हुई। यह स्वयंसेवकों को एक मंच उपलब्ध करायेगा और अच्छे उद्देश्य के लिए प्रतिष्ठान की पहुंच भी बढ़ायेगा, क्योंकि अनेक व्यक्तियों ने प्रतिष्ठान के साथ स्वयंसेवकों के रूप में कार्य करने की इच्छा प्रकट की है।
कार्यक्रम के उद्देश्य हैं-सामाजिक मेलजोल बढ़ाने के लिए एक परिवर्तन एजेंट सुविधा प्रदायक के रूप में कार्य करने के लिए नेटवर्क तैयार करना, जो समुदायों के मध्य शांति और सामाजिक सम्बद्धता भंग होने पर कार्य करे और शांति के समय समग्र विकास में योगदान देना। समुदायों एवं आस-पड़ोसी में शांति और मेलजोल के प्रति जागरूकता पैदा करना, देश के नागरिकों के मध्य अनेकता में एकता की सोच को मजबूत करना और प्रत्येक वर्ष 19 से 25 नवंबर तक देश में मनाए जाने वाले सांप्रदायिक सौहार्द्र अभियान में क्रियात्मक रूप से भाग लेना।
शांति, अहिंसा एवं वसुधैव कुटंबकम की अवधारणा में विश्वास करने वाले भारतीय नागरिक इसमें शामिल हो सकते हैं, हालांकि पहले चरण में एनएसएस, एनवाईकेएस, एनवाईसी, एनसीसी, नागरिक सुरक्षा, स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों से जुड़े छात्रों को स्वयंसेवकों के रूप में शामिल किया जाएगा। स्वयंसेवकों की न्यूनतम आयु 15 वर्ष और कम से कम शैक्षिक योग्यता 10वीं पास है। एनएफसीएच की स्थापना भारत सरकार के गृह मंत्रालय की स्वायत्तशासी संस्था के रूप 1992 में हुई थी। यह प्रतिष्ठान शांति एवं मेलजोल प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां चलाने के साथ-साथ सांप्रदायिक, जातीय या आतंकवादी हिंसा से प्रभावित बच्चों को वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराता है।