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जेनेवा। भारत के श्रम और रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन देशों के श्रम मंत्रियों के सम्मेलन में कहा है कि 'हम गुटनिरपेक्ष आंदोलन देशों के मानकों के उपयोग की समिति (कमिटी ऑन एप्लीकेशन ऑफ स्टैंडर्ड्स) के काम करने के तरीके को सुधारने के प्रयास की जरूरत दोहराते हैं, जो विशेष तौर पर विकासशील देशों पर केंद्रित है। इस समिति के कार्यों में पारदर्शिता, निष्पक्षता और कार्य के सुपरिभाषित मानदंड दिखने चाहिए।' खड़गे ने सोमवार को जेनेवा में सौंवे अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन को संबोधित किया।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस सम्मेलन में पुष्टि की कि भारत की गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सिद्धांतों में अटूट प्रतिबद्धता है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की गवर्निंग कौंसिल की कार्यप्रणाली को सुधारने के सुधार पैकेज का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आईएलओ के अंदर त्रिपक्षीय बातचीत की बेहतर प्रक्रिया चल रही है, जो आईएलओ की गवर्निंग कौंसिल को पुनर्गठित करने में मददगार होगी।
खड़गे ने कहा कि मानकों के उपयोग की समिति किसी देश के खिलाफ शिकायत की सच्चाई का निर्धारण संबंधित देशों से प्रारंभिक प्रतिक्रिया मांगकर सुनिश्चित करेगी। समिति किसी मामले पर अपनी राय बनाने से पहले देश में मौजूद विभिन्न संस्थागत तंत्रों और न्यायिक निवारण इकाइयों को ध्यान में रखेगी। उन्होंने हालिया वैश्विक वित्तीय और आर्थिक संकट से निपटने में आईएलओ द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि अत्यंत पिछड़े देशों को उनकी विभिन्न विकासात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए नीति-निर्माण के क्षेत्र में आईएलओ महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
श्रम और रोजगार मंत्री ने कहा कि सभी के लिए अच्छा काम मुहैया कराना भारत का मूलभूत उद्देश्य है। उन्होंने उल्लेख किया कि डिसेंट वर्क कंट्री प्रोग्राम-इंडिया डॉक्यूमेंट, क्रमिक पंचवर्षीय योजनाएं, नई रोजगार नीति और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का लक्ष्य बेहतर कार्य एजेंडा को प्रोत्साहित और इसे उपलब्ध कराना है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, वित्तीय संस्थाओं और विकास के साझेदारों के साथ दक्षिण-दक्षिण सहयोग बढ़ाने की जरूरत बताई, ताकि सबसे कम विकसित देशों की विकासात्मक जरूरतों और चुनौतियों से मिलकर निपटा जाए।