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पांडुलिपियों के संरक्षण पर आर्थिक मदद

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय अभिलेखागार भारत, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय 1986 से पांडुलिपियों/दुर्लभ पुस्तकों के संरक्षण के लिए पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थाओं/शैक्षिक संस्थाओं/साथ ही व्यक्तियों संस्थाओं, जिनमें निजी संग्रहालय, पुस्तकालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय आते हैं, को सूचीकरण, कैटेलॉग, मूल्यांकन, अनुवाद और पांडुलिपियों/दुर्लभ पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए दो योजनाएं चला रहा है। यह आर्थिक सहायता राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अभिलेखीय संग्रह, सरकारी पुस्तकालयों एवं संग्रहालयों को उनके विकासात्मक कार्यों और उनके पास उपलब्ध पांडुलिपियों के संरक्षण, प्रकाशन, माइक्रोफिल्मिंग, कंप्युटरीकरण और संकलन के लिए उपलब्ध कराई जाती है। दोनों ही योजनाओं में अंतिम बार संशोधन 1998 में किया गया था।

हमारी धरोहरों के संरक्षण के लिए बदलते परिवेश के साथ गति बनाए रखने और आवश्यकता आधारित मांग के लिए दोनों की योजनाओं के कार्य क्षेत्र में विस्तार और लाभार्थियों की आर्थिक सहायता बढ़ाने के लिए इनमें और अधिक संशोधन किए गए हैं। परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय अभिलेखागार भारत द्वारा चलाई जा रही दोनों ही योजनाओं में संशोधन किया गया है। गैरसरकारी संस्थाओं, एनजीओ, व्यक्तियों के लिए चलाई जा रही योजना पांडुलिपियों या दुर्लभ पुस्तकों के संरक्षण के लिए आर्थिक सहायता योजना' के कार्यक्षेत्र में तस्वीरों और प्रिंटों (ओलिग्राफ और लिथोग्राफ सहित) को सम्मिलित करने के लिए विस्तार किया गया है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परियोजना के लिए आर्थिक सहायता राशि वर्तमान की अधिकतम राशि 2 लाख रुपए से 10 लाख रुपए प्रति वर्ष कर दी गई है। योग्य लाभार्थी दिए गए प्रारूप में आवेदन कर यह सहायता प्राप्त कर सकेंगे। यह आवेदन इस उद्देश्य के लिए बनाई गई राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग समिति द्वारा अग्रेषित होनी चाहिए।

राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अभिलेखीय संग्रह, सरकारी पुस्तकालय एवं संग्रहालय के लिए आर्थिक सहायता नाम की दूसरी योजना में भी इसी प्रकार संशोधन किया गया है, जिससे कि रिकॉर्डों/पांडुलिपियों/दुर्लभ पुस्तकों, अभिलेखीय तस्वीरों, प्रिंटों (ओलिग्राफ और लिथोग्राफ सहित) और इलैक्ट्रॉनिक रिकॉर्डों, प्रलेख कक्षों के वातानुकूलन, कंप्यूटरों, रेप्रोग्राफी/संरक्षण सामग्री/उपकरणों की खरीद और भवनों के निर्माण/अतिरिक्त फेरबदल/नवीनीकरण को शामिल किया जा सके। इस योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दी गई है। राष्ट्रीय महत्व के रिकॉडों के रूप में स्वीकार्य अभिलेखीय रिकॉर्डों के लिए एक मुश्त 50 लाख रुपए की राशि का प्रस्ताव भी विशेषज्ञ समिति ने रखा है।

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