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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि हमारे काम की सफलता का पैमाना इस बात से तय किया जाएगा कि हम अपने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछडा वर्ग, विकलांग और वरिष्ठ नागरिक भाईयों और बहनों को राहत दिलाने में कितने सक्षम हैं। शुक्रवार को उन्होंने राज्यों के सामाजिक और अधिकारिता मंत्रियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया और आगे कहा कि हालांकि विभिन्न सरकारों ने उन लोगों के मूलभूत अधिकारों और गरिमा के संरक्षण के लिए प्रगतिशील कानून बनाए हैं जो एक या अन्य रूप से वंचित हैं मगर वास्तविक प्रश्न यह है कि इन कानूनों को प्रभावी ढंग से किस प्रकार से कार्यान्वित और लागू किया जाए? उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि हम नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 लागू करें। यह भी सुनिश्चित करने कि ज़रूरत है कि राज्य और ज़िला स्तर पर सतर्कता और निगरानी समिति की नियमित बैठकों का आयोजन हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस विषय के संदर्भ में मैंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है और मैं आशा करता हूं कि राज्यों के अधिकारिता मंत्री इस पत्र औऱ अधिनियम की भावना को दृढ़ता के साथ लागू करेंगे। इस प्रयोजन के लिए उपलब्ध केंद्रीय सहायता का लाभ उठाने के लिए प्रधानमंत्री ने सभी को आमंत्रित किया। इस विषय से संबंधित अपराधों की शीघ्र सुनवाई के लिए बडी संख्या में अलग से विशेष न्यायालयों की स्थापना शामिल है। उन्होंने कहा कि हमारी विकास प्रक्रिया में यह तथ्य एक गहरा धब्बा है कि स्वतंत्रता के 64 वर्षों के बाद भी हाथ से मल निकासी की कुप्रथा समाप्त नहीं हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं प्रतिज्ञा लेता हूं कि अगले छह महीने के भीतर देश के हर कोने से इस कुप्रथा को खत्म कर दिया जाएगा। शुष्क शौचालयों को एक बार हमेशा के लिए रूपांतरित कर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने मंत्रियों से कहा कि गृह मंत्रालय का हालिया परामर्श उनके हाथों में एक मजबूत और निषेधात्मक साधन है जिसमें किसी अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को मैला ढोने के लिए मल निकासक के रुप में नियुक्त करना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 के तहत दंडनीय माना जाएगा। उन्होंने इसको पूर्णरूप से इस्तेमाल करने का आग्रह किया। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना को जुलाई 2010 में संशोधित किया गया था, विकास के सोपान पर ऊंचा चढ़ने के लिए हमारे समुदाय के वंचित वर्गों का सशक्तिकरण ज़रुरी है, जिसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और कौशल विकास तीन बेहद महत्वपूर्ण आवश्यकताएं हैं। इसलिए हमारे नागरिकों में इन वर्गों से आने वाले विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति का यह प्रावधान काफी महत्व रखता है। केंद्र सरकार इन वित्तीय उत्तरदायित्वों का वहन करेगी, संपूर्ण पंचवर्षीय योजना के लिए राज्यों का भाग मात्र तेरहवीं पंचवर्षीय योजना यानि 2017 से देय होगा। अनुसूचित जाति के बच्चे अपेक्षित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल कर सके इसे सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने स्वेच्छा से इस अतिरिक्त प्रतिबद्धता को ग्रहण किया है। राज्य सरकारों को हालांकि यह सुनिश्चित करना होगा कि संशोधित योजना का लाभ न सिर्फ अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों तक पहुंचे बल्कि ऐसा इसमे पारदर्शिता अपनाई जाए ताकि वे तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा समेत तृतीयक शिक्षा में अपनी भागीदारी को सुधारने में सक्षम हो सकें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों को पूरी तत्परता के साथ अनुसूचित जाति उप-योजना को बनाना और लागू करना चाहिए ताकि इसका लाभ उन लोगों तक पहुंच सके जिन्हें वास्तव में इसकी ज़रूरत है। लाभ को आगे बढ़ाने के लिए अभिसरण आवश्यक है जिससे मौजूदा विकास का अंतर शीघ्र और अधिक प्रभावी रूप से कम हो। केन्द्र सरकार ने पांच राज्यों- असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में केन्द्र प्रायोजित पायलट योजना 'प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना' की शुरुआत की है। यह अनुसूचित जाति जनसंख्या बहुल 1000 गांवों के समेकित विकास के लिए है। पायलट परियोजना में विश्वास और उत्साहजनक परिणाम के प्राप्त होने पर बारहवीं पंचवर्षीय योजना में इस योजना के विस्तार पर विचार किया जा सकता है। विकलांग व्यक्तियों की चिंताओं को दूर करने के लिए बहुत से कदम उठाए गए हैं लेकिन मैं यह मानता हूं कि इस संदर्भ में हमें और भी बहुत कुछ करना है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति विकलांगता अधिनियम, 1955 की जगह पर एक नए कानून का मसौदा तैयार कर रही है। राज्य सरकार और अन्य हितधारकों से परामर्श करके इस अधिनियम को संसद में प्रस्तुत करने का प्रस्ताव है। हमारे विकलांग भाईयों और बहनों की एक सतत परेशानी विकलांगता प्रमाणपत्र प्राप्त करना है। एक सरल और विकेंद्रीकृत संस्थागत तंत्र के जरिए प्रमाणपत्र जारी करने के लिए विकलांगता अधिनियम के तहत केंद्रीय नियमों में दिसंबर 2009 में संशोधन किया गया था। उन्होंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे इसका पालन वरीयता के आधार पर करें। कुछ हद तक यह अलग तरह से सक्षम लोगों की पीड़ा को कम करेगा। हमारे वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य-देखभाल, सुरक्षा और कल्याण के लिए कदम उठाए गए हैं। लेकिन इस संदर्भ में हमें कुछ और करने की भी ज़रुरत है। हमने वरिष्ठ नागरिकों के लिए कर और यात्रा रियायतों को बढ़ाया है। वृद्धों की नाजुक स्थिति और विशेष संरक्षण ज़रूरतों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने और कानून लागू करने वाले तंत्र के झुकाव को बढ़ाने के लिए पंचायत और वरिष्ठ नागरिक एसोसिएशनों और अन्य समुदाय आधारित समूहों की मदद ली जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने कॉरपोरेट क्षेत्र के सहयोग से अनेक पहलों को दिशा दी है। कुछ नतीजे सकारात्मक रहे हैं। प्रभावी सकारात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए कई कॉरपोरेट घरानों ने स्वेच्छापूर्वक कुछ नियमों को अपनाया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक ने स्वागत भाषण दिया और सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री नेपोलियन ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।