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नई दिल्ली। केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री विलासराव देशमुख ने जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) के परियोजना निदेशकों से लोगों की जीवनयापन से जुड़ी समस्याओं के प्रति संवेदनशील होने और उनकी बेहतर जिंदगी के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया है। नई दिल्ली में ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से आयोजित डीआरडीए के परियोजना निदेशकों के दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए देशमुख ने यह भी कहा कि की डीआरडीए पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है इसलिए संवेदनशील समूह के अधिकारों की रक्षा के लिए जुनून और प्रतिबद्धता जरूरी है।
विलासराव देशमुख ने कहा कि इन कार्यक्रमों का लाभ ग्रामीण जनता को मिले, इसका निश्चय डीआरडीए के प्रभारी परियोजना निदेशकों को करना है। देशभर के परियोजना निदेशकों का यह सम्मेलन ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा का अवसर दे रहा है, तो वहीं इससे सभी को एक-दूसरे के अनुभवों का भी लाभ मिलेगा। देशमुख ने कहा कि भारत ने स्वतंत्रता पाने के बाद गरीबी घटाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसके बावजूद देश के ग्रामीण इलाकों में गरीबी रेखा से नीचे काफी बड़ी आबादी गुजर-बसर कर रही है। गरीबी घटाने के लिए मुख्य चुनौती समेकित विकास को सुनिश्चित करना है, जब तक आर्थिक विकास का लाभ देश के ग्रामीण इलाकों में नहीं पहुंचता है तब तक विकास की गाथा बेमानी है।
पंचायतराज मंत्री ने कहा कि गरीबी घटाने की योजनाओं के कार्यान्वयन को पारदर्शी और सक्षम वितरण तंत्र विकसित करना और उसे संचालित करना एक बड़ा काम है। यह एक महत्वपूर्ण मसला है, जिस पर इस सम्मेलन को गंभीरता से विचार करना होगा और सम्मेलन समस्याओं के समाधान भी सुझाए। ग्रामीण गरीबों की दशा सुधारने के लिए पंचायती राज संस्थाओं, गैर-सरकारी संस्थाओं, नागरिक समाज संगठनों, निजी और सार्वजनिक भागीदारों की पूर्ण सहभागिता जरूरी है। विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रमों और स्वास्थ्य, साक्षरता जैसे सामाजिक कार्यक्रमों के बीच तालमेल स्थापित करना भी बहुत आवश्यक है।