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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में अपनाए गये विजन दस्तावेज के कार्यान्वयन के उद्देश्य से न्याय प्रदान करने एवं विधि सुधारों के लिए राष्ट्रीय मिशन की स्थापना संबंधी विधि एवं न्याय मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इस मिशन का उद्देश्य न्याय में हो रही देरी को कम करके न्यायिक पहुंच में विस्तार करना और संरचनात्मक बदलाव और प्रदर्शन मानक के जरिये जवाबदेही बढ़ाना है। मिशन मोड दृष्टिकोण के जरिये समयबद्ध तरीके से सन् 2015-16 तक इस लक्ष्य को हासिल करना है। मिशन के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए इसमें मिशन निदेशालय, एक सलाहकारी परिषद और एक शासकीय परिषद होगी। राष्ट्रीय मिशन के तहत आने वाले क्षेत्रों में नीति और वैधानिक बदलाव, प्रक्रियाओं का पुनर्निर्माण, मानव संसाधन विकास सहित अधीनस्थ न्यायालयों में बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।
अधीनस्थ न्यायालयों में ढांचागत विकास की व्यापक आवश्यकता है। केंद्र प्रायोजित योजना के तहत राज्यों में वित्त पोषण के प्रारूप को 50:50 से बढ़ाकर 75:25 करने और पूर्वोत्तर राज्यों में 90:10 किये जाने से इस जरूरत को पूरा किया जा सकता है। केंद्र सरकार पाँच वर्षों के लिए मिशन मोड योजना पर अनुमानत: 5,510 करोड़ रूपये खर्च करेगी।