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नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की महत्वपूर्ण योजना राष्ट्रीय अनुवाद मिशन के कामकाज की समीक्षा के लिए कई कदम उठाये हैं। भाषागत बाधाओं को खत्म करने के ये प्रयास हर किसी के लिए ज्ञान को सुलभ कराने के लिए सरकार की प्रमुख पहल की दिशा में सहायक हो सकेंगे। मिशन के पहले चरण में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर 15 से अधिक विषयों की अंग्रेजी में उपलब्ध पाठ्य सामग्री का अनुवाद आठवीं अनुसूची के तहत सूचीबद्ध सभी 22 भाषाओं में किये जाने की उम्मीद है।
तेजी से आधुनिक होते समाज में इस मिशन के जरिए सभी भारतीय भाषाओं की समृद्धि और विकास को मजबूती मिलने और एक स्वस्थ बहुभाषी व्यवस्था के साथ बुद्धिजीवी समाज की कार्यप्रणाली का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है। इस संबंध में सीआईआईएल, मैसूर के निदेशक, जो इस योजना के नोडल अधिकारी और राष्ट्रीय अनुवाद मिशन (एनटीएम) के परियोजना निदेशक हैं, ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से हाल ही में मुलाकात की और मिशन की गतिविधियों की जानकारी दी। एनटीएम की ओर से प्रस्तुति में मिशन के काम और इसकी अब तक की उपलब्धियों के बारे में बताया गया। इनमें मौलिक शब्दकोश की तैयारी और प्रकाशन, विश्वविद्यालय डाटाबेस का सृजन, अनुवाद और अनुवादकों के डेटाबेस, इंटरेक्टिव वेबसाइट आदि का विकास शामिल हैं। पाठ्य पुस्तकों के प्रकाशन के बारे में भी चर्चा की गयी।
इस दौरान सिब्बल को इस मिशन के लघु और दीर्घकालिक लक्ष्यों के बारे में जानकारी दी गई। प्रस्तुति के दौरान महत्वपूर्ण सुझावों में मिशन को एक प्रमाणन एजेंसी बनाने की संभावना तलाशना, जिसका फायदा रोजगार सृजन में मिल सके, इंटरनेट पर उपलब्ध विषय सामग्री की डबिंग व सबटाइटलिंग, विभिन्न विषयों के लिए अनुवाद के खुले स्रोत की स्थापना आदि शामिल हैं। बैठक के समापन पर सिब्बल ने मिशन को आश्वस्त किया कि उसे मानव संसाधन विकास समेत सभी कामों में आने वाली सभी समस्याओं के निपटान के लिए और इस योजना के कामकाज को सुचारू एवं सुविधाजनक बनाने और इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए हर संभव मदद की जाएगी।